हम सब ज़िंदग़ी में कभी न कभी थोड़े समय के लिए नाख़ुश होते हैं मगर डिप्रेशन यानी अवसाद उससे कहीं ज़्यादा गहरा, लंबा और ज़्यादा दुखद होता है।इसकी वजह से लोगों की ज़िंदगी से रुचि ख़त्म होने लगती है और रोज़मर्रा के कामकाज से मन नहीं लगता है। डिप्रेशन के शिकार व्यक्ति के मन में कई तरह के विचार पनपने लगते है और वो अपने आप को हताश महसूस करने लगता है। डिप्रेशन में व्यक्ति अपने आप को असहाये समझने लगता है कई बार तो आत्महत्या के बारे में भी सोचने लगता है। माना जाता है कि 5 में से एक व्यस्क डिप्रेशन का शिकार होता है। डिप्रेशन एक मनोवैज्ञानिक बीमारी हैं। डिप्रेशन सिर्फ बड़ों को ही नहीं बल्कि बच्चों को भी होने लगा है। इसलिए अगर कोई व्यक्ति डिप्रेशन में हो तो तुरंत उनकी मदद करनी चाहिए ।
डिप्रेशन के लक्षण-
सर्व प्रथम यह बात समझने की जरूरत है कि जो लोग डिप्रेशन में होते हैं उन्हें असल में पता ही नहीं चल पाता कि वे डिप्रेशन में हैं। ऐसे में जरूरी है कि पीड़ित व्यक्ति के करीबी उसमें डिप्रेशन के लक्षणों की पहचान करें और उसकी मदत करे ।
- हमेशा शांत रहना और रोजाना के किसी भी काम में रुचि न लेना। दोस्त, परिवार और सोसाइटी से भी कट जाना।
- ज्यादा चिंता करना, जीवन के प्रति नकारात्मक नजरिया रखना, बात-बात पर गुस्सा करना, दुखी रहना।
- नींद न आना यानी अनिद्रा का शिकार हो जाना।
- खुद को कोसते रहना और खुशी के मौकों पर भी दुखी ही रहना। हमेशा नेगेटिव बातें करना और किसी से भी मिलने-जुलने से बचना।
- ज्यादा खाना खाना या सामान्य से कम खाना और चिढ़कर या झल्लाकर जवाब देना।
- वजन का अचानक बढ़ रहा है या फिर तेजी से कम हो रहा है तो यह भी डिप्रेशन का एक लक्षण हो सकता है। इसके अलावा हमेशा थका-सा महसूस करना भी डिप्रेशन की निशानी है।
- किसी भी काम का निर्णय ना ले पाना और कहीं पर मन न लगना।
- खान पान की आदतों में बदलाव करना।
- ज़िन्दगी के प्रति उलझा हुआ नज़रिया और खान-पान में बदलाव।
- आत्महत्या के बारे में सोचना।
- हमेशा रोने का मन करना।
- मन की एकाग्रता खोना, मन का एकाग्र न हो पाना।
- चिड़चिड़ा हो जाना।
- ऊर्जा का स्तर कम हो जाना।
- आनन्द वाली किसी भी चीज़ में आनन्द ना उठा पाना।
डिप्रेशन के कारण –
- शादी का टूट जाना।
- किसी नज़दीक़ी की मौत या रिजल्ट खराब आना।
- नौकरी चले जाना,बिजनस में नुकसान या फिर किसी बेहद करीबी इंसान का साथ छूट जाए।
- इच्छानुरूप काम में सफलता ना मिलना या काम का बिगड़ जाना ।
- हॉर्मोन्स में बदलाव और किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित होना।
- कर्ज में डूबने की स्थिति में भी व्यक्ति डिप्रेशन में चला जाता।
कैसे करें मदद-
- जिस प्रकार बुखार, पेटदर्द या अन्य दूसरी बीमारियों में इलाज की जरूरत होती है, वैसे ही डिप्रेशन में भी इलाज की बहुत जरूरी है होती। यह न सोचें कि इसकी तो आदत में ही है मुंह फुलाए रखना और दूसरों को परेशान करना । स्वीकार करें कि वह बीमार है और उसे इलाज के साथ-साथ आपकी मदद की भी जरूरत है।
- मरीज की बातो को सुनें उसकी भावनाओं को समझें। वह जो भी बोलना चाहता है उसे बोलने दें, बिना कोई टिप्पणी किए। उसे सलाह न दें, न ही जबरन खुश करने की कोशिश करें। आपको बस उसके मन की बात सुननी है। अगर वह किसी से नाराज है या उसके बारे में भला-बुरा कह रहा है और बेशक आपको यह बात पसंद नहीं है तो भी उसे टोकें नहीं।
- किसी ब्रेकअप वगैरह की वजह से उसकी यह स्थिति हुई है तो भी उसके एक्स के बारे में कोई गलत बात न करें। उसे मन की बात निकालने का मौका दें। उसकी बात सुनें।
- मरीज को व्यवहार से झुंझलाकर उसे डांटें नहीं और न ही दुत्कारें। मरीज के साथ प्यार से पेश आएं और कोई भी तरीका अपनाते वक्त संयम और प्यार से ही काम लें।
- डिप्रेशन को ठीक करने में सिर्फ दवाएं या फिर डॉक्टर ही मददगार नहीं बल्कि परिवार वालों का रवैया भी मायने रखता है।
- डिप्रेशन से पीड़ित व्यक्ति को आप जितना प्यार देंगे, जितना उसे खुश रखने की कोशिश करेंगे उतनी जल्दी ही उसकी स्थिति में सुधार होगा।
- मरीज को गुस्सा ज्यादा आता है और वह बात-बात पर गुस्सा करता है या नाराज हो जाता है। ऐसे में आपको अपना संयम बनाए रखना है। यह न हो कि आप झुंझलाने लगें कि एक तो मैं इसका साथ दे रहा हूं या मदद कर रहा हूं और यह मुझसे ही नाराज हो रहा है। दरअसल, पीड़ित को तो पता भी नहीं होता कि आप उसकी मदद कर रहे हैं।
- मरीज चीखे-चिल्लाए तो भी आप ऊंची आवाज में बात न करें। यहां तक कि अगर वह आप पर कुछ उठाकर मारने की कोशिश करे तो भी आप खुद को कंट्रोल में रखें। खुद को समझाएं कि वह बीमारी में ऐसा कर रहा है।
- अगर तमाम कोशिशों के बाद भी मरीज की उदासी कम नहीं हो रही है और यह दौर 10-15 दिन तक जारी रहता है तो आप एक्सपर्ट की मदद लें सकते है । काउंसलर ,सायकॉलजिस्ट और सायकायट्रिस्ट , की मदद ले सकते हैं। जरूरत पड़ने पर दवाएं भी दी जाती हैं। यह न सोचें कि इसकी तो आदत है ऐसे ही परेशान रहने की।
- डिप्रेशन के इलाज के लिए पीड़ित व्यक्ति को डॉक्टर या काउंसलर से मिलवाएं। इसके अलावा उसे सोशल सर्कल में ले जाएं। लोगों के साथ घुलने-मिलने से अच्छा महसूस होगा और व्यक्ति उदासी के क्षणों से बाहर निकलेगा।
- मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए सही खान-पान और भरपूर नींद बेहद आवश्यक है। इसलिए डिप्रेशन के मरीज को हेल्दी और सही खान-पान दें और मरीज पर्याप्त नींद ले।
डिप्रेशन का इलाज-
- हफ्ते में दो बार योग और प्राणायाम करने से अवसाद के लक्षणों से उबरने में मदद मिलती है। इसका असर अवसाद की दवा लेने या नहीं लेने वाले पर समान रूप से होता है।
- साइकॉलजिकल इलाज के अलावा डिप्रेशन के इलाज के लिए मरीज को ऐंटी-डिप्रेसेंट भी दिए जाते हैं। हालांकि इस तरह की दवाइयों का सेवन तभी करें जब वे स्वास्थ्य पर कोई नकारात्मक प्रभाव न डालें।
- दो चम्मच ब्राह्मी और अश्वगंधा के चूर्ण को मिलाकर एक गिलास दूध के साथ लेने से फायदा होता है। दिन में दो बार ले सकते हैं। गाय के शुद्ध घी को सूंघने या इसकी 1-2 बूंद नाक में डाल सकते हैं। जटमांसी की जड़ को पीसकर एक चम्मच की मात्रा को ताजे पानी के साथ ले सकते हैं।
- अवसाद से निजात के लिए आयुर्वेद में मसाज थेरेपी का भी सहारा लेते हैं। चंदनबला, लाच्छादि तेल, ब्राह्मि तेल, अश्वगंधा, बला तेल आदि से मसाज की सलाह दी जाती है जो तनाव दूर करते हैं और अवसाद से मुक्ति दिलाते हैं।
- लेकिन पढ़ने के अलावा लिखना आपका शौक हो तो एक डायरी बना लें। जिसमें अपनी मन की बातों को सजावटी रूप में उतार लें। यदि आप दिल से लिखेंगे तो पाएंगे कि आपके लफ्ज़ काफी कलात्मक हैं और वह पल दूर नहीं जब आप खुद में एक नई ‘हॉबी’ को उजागर कर देंगे।
- सुबह के समय या फिर जब भी आप सहज हों हल्की धूप जरूर लें। इससे आपका मन और मस्तिष्क को आराम मिलता है और तनाव भी दूर होता है। प्राकृतिक स्थानों पर जाएं या फिर घर के आंगन, बरामदे या बालकनी में शांत मन से बैठें।
- खूब चॉकलेट खाएं ।