रानीपुर। कलस्टर के तहत डिजायनिंग, फिनिशिंग, कटिंग, कलर संयोजन, इंटर लॉकिंग मशीनें लगाई जाएंगी। अभी इन मशीनों के अभाव में बुनकरों को दूसरे शहरों से सहयोग लेना पड़ता है और नई डिजायनें भी नहीं बना पाते। उद्योग विभाग के अनुसार नोएडा कंसल्टेंट 10 दिन में विस्तृत कार्ययोजना बनाकर भेज देंगे। इसके बाद शासन आगे की कार्रवाई कर रानीपुर कलस्टर को हरी झंडी दे देगा।
रानीपुर कलस्टर को इस तरह से बनाया जाएगा कि बुनकर यहां लगने वाली मशीनों के मालिक माने जाएंगे। पहले यूपीको को योजना हाथ में लेने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी लेकिन सर्वे के बाद उसने काम आगे नहीं बढ़ाया। इस पर उद्योग निदेशालय ने कॉमन सर्विस सेंटर के माध्यम से कलस्टर को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया है। करीब 200 बुनकर बतौर शेयर होल्डर अपना अंशदान देंगे। फिर उन्हें इन मशीनों को इस्तेमाल करने की सुविधा दी जाएगी। इसके लिए विशेष प्रयोजन यान नाम से संगठन बनाया जाएगा और कॉमन सर्विस सेंटर बुनकरों से मामूली यूजर चार्जेस वसूल करेगी।
कभी टेरीकॉट कपड़े की शान समझा जाने वाला रानीपुर उद्योग अब अंतिम सांसे गिन रहा है। जहां कभी हर घर में करघे की खटखट गूंजती थी वहां अब सन्नाटा पसरा रहता है ,जो लोग अपने इस पुश्तैनी धंधे को किसी तरह संभाले हैं उनका भी जीवन तंगहाली में गुजर रहा है। रानीपुर के टेरीकॉट का मजबूती में कभी कोई सानी नहीं थी। धीरे-धीरे यह उद्योग खत्म होता गया। शासकीय अनदेखी के चलते आखिर इसने पूरी तरह दम तोड़ दिया। कभी रानीपुर में 1200 से 1400 करघे संचालित थे जो अब सिमटकर 200 के करीब आ गए हैं।
नई पीढ़ी ने तो अपने इस पुश्तैनी कारोबार से नाता तोड़कर दूसरे शहरों में मजदूरी करना बेहतर समझा लेकिन अब सरकार के एक बार फिर इस उद्योग में नयी जान फूंकने की कवायद इस कारोबार में लगे लोगों के लिए खुशियों की नयी सौगात लायी है। यदि यह पहल सही अर्थो में फलीभूत हो पायी तो बडे शहरों में जाकर मजदूरी कर अमानवीय
परिस्थितियों में जीवन बिताने को मजबूर टेरीकॉट के जबरदस्त कारीगरों के वापस आकर घर में ही स्वरोजगार पाने और बेहतर जीवन यापन की परिस्थितियां बन पायेंगी।