पुरी। ओडिशा की तीर्थ नगरी पुरी में तीन किलोमीटर लंबी भव्य सड़क गुरुवार को मानव रथ के रूप में बदल गई और देश भर से आए 10 लाख से अधिक श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ की वार्षिक रथ यात्रा में शामिल हुए।
रंग बिरंगे फूलों से सजाए गए तीनों प्रमुख देवता भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई भगवान बलवद्र और उनकी बहन देवी सुभद्रा के रथों को उनके मूल निवास से उनके जन्मस्थान गुंडिचन मंदिर तक ले जाया गया। मंदिर के जगनमोहन, नटमंडप और भोगमंडप शीर्ष समेत सभी चारों दरवाजों को फूलों से सजाया गया था।
जैसे ही भगवान जगन्नाथ पहांदी जुलूस में सिंहद्वार (मंदिर के मुख्य द्वार) से बाहर आए, उनके विशाल पुष्प का झूला झुलाते हुए उनके भक्तों ने ‘हरि बोल, जगन्नाथ’ और ‘हुलहुली’ के धार्मिक भजन गाए जिसकी गूंज चारों ओर सुनायी देने लगी।
पहांदी में भक्तों के बीच भगवान जगन्नाथ की एक झलक पाने के लिए हल्की धक्कामुक्की भी हुई। आसमान में घने बादल छाए रहे और नमी बहुत अधिक थी।
निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार आज सुबह सेवादारों ने मंगल आरती, मेलुम, अब्काश, सूर्य पूजा और वस्त्र पहने देवताओं का प्रदर्शन किया और फिर देवताओं को खिचड़ी भोग लगाया।
तत्पश्चात सभी देवताओं को पहांदी ले जाया गया जहां सबसे पहले बड़े भाई बलभद्र, उसके बाद बहन सुभद्रा और अंत में भगवान जगन्नाथ की सेवादारों ने पूजा अर्चना की।
इस अवसर पर आयोजित संगीत कार्यक्रम में मंदिर के पारंपरिक संगीतकारों ने झांझ, घण्टों, मृदंग, शंख और बग्गलों को बजाते हुए पहाड़िया जुलूस का नेतृत्व किया। ओडिशी नर्तकियों ने इसमें और चार चांद लगा दिए।
पूरे कार्यक्रम एक घंटे से अधिक समय तक जारी रहा। रथ को खींचने का समय अपराह्न चार बजे तय किया गया जो कि अपराह्न 2.15 बजे तक ग्रैंड रोड पर आगे बढ़ना शुरू भी हो गया।
पुरी गोवर्धन पर्थ के शंकराचार्य स्वामी नीशाचलानंद सरस्वती ने रथ पर आकर पूजा अर्चना की जबकि गजपति दिव्यसिंह देव ने छेरा पहरा समारोह (तीनों रथों पर देवताओं के चारों ओर सोने की झाड़ू से साफ करना) को संपन्न किया।
लकड़ी के घोड़ों पर सवार भगवान बलभद्र की तलध्वज रथ की यात्रा अपराह्न 2.10 बजे शुरू हुई। उनकी बहन देवी सुभद्रा की दरपल्सन रथ अपराह्न लगभग तीन बजे उनके पीछे चल पड़ीं। भगवान जगन्नाथ की नंदीघोष रथ में अपराह्न 3.50 बजे यात्रा शुरू हुई।
श्रीजगन्नाथ मंदिर के सिंह द्वार से नौ दिन की यात्रा शुरू करने वाले त्रिमूर्ति अपने गंतव्य भगवान के मौसी के स्थान गुंडिचा मंदिर में सूर्यास्त से पहले पहुंच गए।
ओडिशा के राज्यपाल गणेशी लाल, मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, ओडिशा विधानसभा अध्यक्ष एस एन पात्रो, मंत्री नबकिशोर दास, समीर रंजन दास, अरुण साहू, प्रताप जेना, तथा दिव्य शंकर मिश्रा ने भी इन रथों को खींचा।
राज्य के मुख्य सचिव आदित्य प्रसाद पाधी और पुलिस महानिदेशक आरपी शर्मा भी इस अवसर पर मौजूद थे। तीर्थयात्रियों और श्रद्धाुलओं की भीड़ पर निगरानी के लिए शहर में त्वरित कार्रवाई बल, ओड़िशा आपदा त्वरित प्रतिक्रिया बल, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल, बम निरोधक इकाइयों और 250 सीसीटीवी कैमरों के साथ लगभग दस हजार पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था।
वाहनों के आवागमन को नियंत्रित करने के लिए एक विशेष नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है। नागरिक उड्डयन, नौसेना और तट रक्षकों के साथ समुद्री पुलिस द्वारा क्रमशः नभ, थल और जल से सुरक्षा सुनिश्चित की गई।
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक संजीव पांडा और पांच पुलिस महानिरीक्षकों के अलावा मंदिर के मुख्य प्रशासक पी के महापात्रा, जिलाधिकारी बलवंत सिंह और पुलिस अधीक्षक उमाशंकर दाश त्यौहार की व्यवस्था देखरेख कर रहे थे।
तीनों रथों तथा मुख्य मंदिर के जगमोहन, भोगमंडप और नटमंडप समेत चारों दरवाजों को सजाने के लिए लगभग चालीस ट्रक फूलों का उपयोग किया गया था। गुंडिचा मंदिर के पूरे परिसर को भी फूलों से सजाया गया था।