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वृन्दावन में गोदारंगमन्नार के रथ को खींचने के लिए मची होड़ - Sabguru News
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वृन्दावन में गोदारंगमन्नार के रथ को खींचने के लिए मची होड़

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वृन्दावन में गोदारंगमन्नार के रथ को खींचने के लिए मची होड़

मथुरा। दक्षिण भारत शैली पर वृन्दावन में बने रंग जी मन्दिर में आज रथयात्रा के दौरान विशालकाय रथ को खींचकर पुण्य लाभ कमाने की होड़ लग गई। रथ को खींचने वालों में प्रदेश सरकार के एक मंत्री और प्रशासनिक अधिकारी भी थे।

करीब 15 फुट चौड़ा, 20 फुट लंबा एवं 60 फुट ऊंचा चन्दन की लकड़ी से निर्मित लगभग पौने दो सौ वर्ष पुराना रथ इतना भव्य एवं मनोहारी है कि उसे देखकर ऐसा लगता है जैसे इसे आज ही बनाया गया है। उच्चश्रेवा नामक चार श्वेत घोड़ों की लगाम थामे पार्षद, मुख्य पार्षद जय विजय,दिग्पाल, विश्वकसेन जी आदि देवताओं से सुसज्जित रथ पर सजी रंगबिरंगी पताकाये, देशी विदेशी सुगन्धित पुष्प, केलि के तने, हरे पत्तों से रथ में ऐसे चार चांद लगे कि लोग उसके चरणस्पर्श करने को लालायित हो गए।

वैदिक परम्परानुसार प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में ठाकुर रंगनाथ भगवान श्री देवी, भूदेवी के साथ निज गर्भगृह से पालकी में विराजमान होकर मीन लग्न में दिव्याकर्षक रथ में जब विराजमान हुए तो रंगनाथ भगवान के जयकारों से सम्पूर्ण क्षेत्र गुंजायमान हो उठा।

इसके बाद वैदिक मंत्रों के मध्य मन्दिर के पुरोहित विजय किशोर मिश्र व गोविंदकिशोर मिश्र ने देव आह्वान, नवग्रह स्थापन, गणपति आह्वान आदि देवो का पूजन वंदन किया। लगभग एक घण्टे की पूजा प्रक्रिया के बाद जैसे ही सात कूपे का धमाका व काली के स्वर ने रथ के चलने का संकेत किया भक्तो का उत्साह दोगुना हो गया। रंगनाथ भगवान के जयकारे लगा विशालकाय रथ को खीचने की होड़ सी लग गई।

इस रथ यात्रा का आयोजन श्री रंग मन्दिर दिव्यदेश के ब्रम्होत्सव के अवसर पर किया गया। जैसे ही रथ का खींचना शुरू हुआ भक्तों में रथ के रस्से को पकड़ने और खींचने की होड़ सी लग गई। उत्तर प्रदेश के गन्ना विकास मंत्री लक्ष्मीनारायण चौधरी, जिलाधिकारी पुुुलकित खरेे एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक शैलेष कुमार पाण्डे भी साधारण भक्त की तरह रथ को खींचने लगे।

लगभग तीन घण्टे में रथ ने करीब सात सौ गज का सफर तय किया। मध्यान्ह रथ बड़ा बगीचा पहुंचा। जहाँ विश्राम के उपरांत रथ सायं मन्दिर के लिए रवाना हुआ। रथ घर से ठाकुर जी को पुनः पालकी में विराजमान किया गया। ठाकुर को शीतलता देने के लिए आज रंगीन फव्वारे चलाए गएये तथा उन्हे शीतल पेय पदार्थ, मिष्टान्न, फल आदि निवेदित किए गए। एक दिन पूर्व ठाकुर ने भक्तों के संग जमकर होली भी खेली थी।