Warning: Constant WP_MEMORY_LIMIT already defined in /www/wwwroot/sabguru/sabguru.com/18-22/wp-config.php on line 46
ईश्वर तक पहुंचने का मार्ग है ध्यान : जिग्नेश शेलत - Sabguru News
होम Rajasthan Ajmer ईश्वर तक पहुंचने का मार्ग है ध्यान : जिग्नेश शेलत

ईश्वर तक पहुंचने का मार्ग है ध्यान : जिग्नेश शेलत

0
ईश्वर तक पहुंचने का मार्ग है ध्यान : जिग्नेश शेलत

किशनगढ़। हमारी संस्कृति में ईश्वर तक पहुंचने का मार्ग ध्यान को माना गया है। यह बात शनिवार को आरके कम्यूनिटी सेन्टर में आयोजित ध्यानोत्सव में कही गई। तीन दिवसीय ध्यानोत्सव कार्यक्रम श्री रामचन्द्र मिशन हार्टफुलनेस संस्थान के द्वारा किया जा रहा है। इसमें ध्यान के माध्यम से परम तत्व से जुड़ने पर चर्चा करने के साथ प्रायोगिक अभ्यास भी करवाया गया।

ध्यानोत्सव के संयोजक अखिलेश डाबी ने बताया कि कार्यक्रम के मुख्य वक्ता अहमदाबाद के हार्टफुलनेस प्रशिक्षक जिग्नेश शेलत ने कहा कि भारतीय संस्कृति की आध्यात्मिक उपलब्धियां विश्व के लिए मार्गदर्शक है। अष्टांग योग के माध्यम से ईश्वर को प्राप्त करने का सोपानवत मार्ग दिखाया गया है।

ईश्वर एक है। उसे प्रत्येक व्यक्ति अपनी आस्था और विश्वास के अनुसार अलग-अलग नामों से जानते हैं। उसे किसी भी नाम से पुकारा जाए वह अपने होने का अहसास पल-पल करवाता है। हमारी संवेदनशीलता उस अहसास का अनुभव कर सकने में सक्षम बनाती है।

उन्होंने कहा कि परम तत्व के साथ जुड़ने के लिए हृदय आधारित ध्यान का उपयोग किया जाता है। परम तत्व जो इस सृष्टि को संचालित करता है। ध्यान और एकाग्रता में बुनियादी अन्तर है। एकाग्रता का प्रभाव ईश्वर प्राप्ति के स्थान पर दैनिक कार्यों से अधिक होता है। हृदय आधारित ध्यान करने से व्यक्ति चराचर जगत के साथ सम्बन्ध जोड़े रखकर ईश्वर प्राप्त कर सकता है।

उन्होंने कहा कि हमारी संस्कति में ईश्वर तक पहुंचने के लिए ध्यान को एकमात्रा मार्ग के रूप में बताया गया है। ध्यान प्रत्येक प्राणी करता है। ध्यान करने का अहसास होना ही यह दर्शाता है कि हम ध्यान कर रहे हैं। हम अपने दैनिक जीवन मे व्यवसाय, नौकरी आदि कार्य ध्यान से करते हैं। उसे करने का हमें अहसास नहीं होता है। जब हम ईश्वर का ध्यान करते हैं तो हमें ध्यान करने का अहसास होता है। इसी अहसास से हम ईश्वर को शीघ्र ही प्राप्त कर लेते हैं।

उन्होंने कहा कि सामान्य व्यक्ति ध्यान के लिए यह मानकर चलता है कि ध्यान तथा ईश्वर की आराधना एक उम्र के पश्चात् करने के लिए होती है। इस विषय पर हमारे शास्त्रों ने स्पष्ट निर्देशित किया है कि ईश्वर की आराधना जीवन के प्रत्येक क्षण होनी चाहिए। वह हमारा हमेशा ध्यान रखता है तो हमें भी ईश्वर का हमेशा ध्यान करना चाहिए। अगर वह हमारा एक पल के लिए भी ध्यान नहीं रखे तो हमारा अगले पल क्या होगा। किसी का बताने की आवश्यकता नहीं है।

शेलत ने कहा कि ध्यान करने के लिए कोई भी सीमा नहीं होती है। किसी भी धर्म, जाति और लिंग का व्यक्ति ध्यान कर सकता है। ध्यान के लिए व्यक्ति का शारीरिक रूप से स्वस्थ होना ही पर्याप्त होता है। सामान्यतः 15 वर्ष से अधिक आयु का व्यक्ति ध्यान कर सकता है।

ध्यान व्यक्ति को अपने मन का मालिक बनाने में सहायक होता है। हार्टफुलनेस पद्धति एक हृदय आधारित सहज मार्ग है। यह हमारी चेतना को विस्तार प्रदान करने के साथ ही हमारी संवेदनशीलता में भी वृद्धि करता है।

ब्रेन का ध्यान के द्वारा विकास

अखिलेश डाबी ने बताया कि रविवार शाम 4 बजे से ब्रेन को ध्यान के माध्यम से विकसित करने की प्रक्रिया के बारे में प्रशिक्षित किया जाएगा। इससे व्यक्ति के मस्तिष्क की छिपी क्षमताओें का बहिर्मुखीकरण हो सकेगा। इसमें ब्राईटर माइंड द्वारा जीवन्त डेमो किया जाएगा।