किशनगढ़। ध्यानोत्सव के अन्तिम सत्र में सोमवार को परम् तत्व से जुड़ने की चर्चा के दौरान कहा गया कि प्रार्थना परम् तत्व से जुड़ने के लिए ब्रह्मास्त्र की तरह कार्य करती है।
मुख्य वक्ता एवं श्री रामचंद्र मिशन हार्टफुलनेस के प्रशिक्षक जिग्नेश शेलत ने चर्चा के दौरान कहा कि आध्यात्मिकता में प्रार्थना का अपना अलग महत्व है। प्रार्थना हमेशा दिल से की जानी चाहिए। हार्टफुलनेस एक हृदय आधारित ध्यान पद्धति है। इसमें हृदय में उठे विचारों को विशेष महत्व दिया जाता है। प्रार्थना हृदय की गहराई से प्रस्फुटित होनी आवश्यक है। तभी वह अपना प्रभाव दिखा पाती है।
उन्होंने कहा कि इस पृथ्वी के समस्त प्राणियों के जीवन का अन्तिम लक्ष्य परम् तत्व के साथ एकत्व स्थापित करके उसमें लय होना है। परम् तत्व की प्राप्ति के लिए हमारी संस्कृति में बहुत से तरीके बताए गए है। हठयोग से लेकर सहज मार्ग तक विविध प्रकार हमें परम् तत्व तक पहुंचाने में मददगार होते है। सामान्य गृस्थियों के लिए सहज मार्ग एक सर्वाधिक उपयुक्त विधा है। इसके नियमित अभ्यास से शीघ्र ही उसे प्राप्त किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि प्रार्थना की समझ हमें अध्यात्मिक उन्नति देने में सहयोगी होती है। प्रार्थना को इस रूप में समझा जा सकता है कि यह परम् तत्व को प्राप्त करने के लिए ब्रह्मास्त्र है। परम् तत्व की प्राप्ति में प्रार्थना का महत्वपूर्ण योगदान है। प्रार्थना करते समय हमारा जुड़ाव सीधा परम् सत्ता के साथ हो जाता है। यह जुड़ाव इस बात पर निर्भर करता है कि प्रार्थना हृदय की कितनी गहराई से की जा रही है। प्रार्थना जितनी गहरी होगी जुड़ाव उतना ही सुदृढ़ होता है।
जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. विकास सक्सेना ने कहा कि दैनिक जीवन में हार्टफुलनेस पद्धति के ध्यान, शुद्धीकरण एवं प्रार्थना के तीनों आयामों से समस्त घटकों को विकसित किया जा सकता है।
ध्यानोत्सव में प्रार्थना पर चर्चा के उपरान्त ध्यान करवाया गया। ध्यान में प्राणाहुति के माध्यम से दिव्य ऊर्जा को समस्त प्रतिभागियों ने अपने हृदय में महसूस किया साथ ही प्रतिभागियों की जिज्ञासाओं का समाधान भी किया गया। व्यक्तियों ने ध्यान, आध्यात्मिकता एवं धर्म के संबंध में कई प्रकार के प्रश्न किए। जिनका समाधान किया गया।
रोटेरी क्लब में होगा साप्ताहिक सामूहिक ध्यान
ध्यानोत्सव के पश्चात किशनगढ़ में साप्ताहिक सामूहिक ध्यान आरम्भ होगा। यह ध्यान प्रत्येक रविवार को सुबह 7.30 बजे एवं प्रत्येक बुधवार शाम 5 बजे रोटेरी क्लब में आयोजित होगा। किशनगढ़ के ध्यान के प्रति जिज्ञासा रखने वाले अभ्यासी इनमें निःशुल्क भाग ले सकते हैं।