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बांसवाड़ा की बीमार बेटी के लिए देवदूत बने गजेंद्र सिंह शेखावत - Sabguru News
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बांसवाड़ा की बीमार बेटी के लिए देवदूत बने गजेंद्र सिंह शेखावत

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बांसवाड़ा की बीमार बेटी के लिए देवदूत बने गजेंद्र सिंह शेखावत

किर्गिस्तान में पढ़ रही डिंपल त्रिवेदी को है इलाज की जरूरत, गुरुवार को पहुंचेगी स्वदेश
जोधपुर। किर्गिस्तान में पढ़ रही और गंभीर रूप से बीमार घाटोल (बांसवाड़ा) की मेडिकल स्टूडेंट डिंपल त्रिवेदी को एयरलिफ्ट करके भारत लाया जाएगा। डिंपल बुधवार की सुबह ही भारत आ जाती, लेकिन पाकिस्तान के फ्लाईओवर की परमिशन नहीं देने के कारण अब गुरुवार को उसे नई दिल्ली लाया जाएगा।

डिंपल का परिवार उसकी स्वदेश वापसी के लिए पिछले कुछ दिनों से बेहद परेशान था। अब वागड़ की बेटी की स्वदेश वापसी की व्यवस्था कराने में जोधपुर के सांसद और केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की अहम भूमिका है।

राशन की दुकान चलाने वाले महेशचंद्र त्रिवेदी की बेटी डिंपल बिश्केक (किर्गिस्तान) में एमबीबीएस की पढाई कर रही है। वह 2017 से वहां है। किडनी की गंभीर बीमारी से ग्रस्त डिंपल की गत दो जून को एकाएक तबियत ज्यादा बिगड़ गई। डॉक्टरों ने उसे भारत में इलाज करवाने की सलाह दी। जब यह बात परिवार और घाटोल के लोगों को पता चली तो वो परेशान हो उठे।

डिंपल की बिश्केके से वापसी के लिए स्थानीय लोगों ने सोशल मीडिया पर मुहिम चलाई। जब प्रसास सफल नहीं हुए तो बांसवाड़ा के सांसद कनकमल कटारा, डिंपल के परिजनों और क्षेत्र के अनेक लोगों ने मंगलवार सुबह केंद्रीय मंत्री शेखावत से डिंपल को स्वदेश लाने का अनुरोध किया।

कोरोना की वैश्विक महामारी के चलते कम समय में डिंपल को स्वदेश वापस लाना लगभग असंभव काम था, लेकिन केंद्रीय मंत्री शेखावत के प्रयासों से विदेश मंत्रालय और किर्गिस्तान के नागरिक उड्डयन मंत्रालय से अनुमति मिली।

बुधवार मध्य रात्रि 2 बजे चिकित्सा टीम को डिंपल को लेकर बिश्केक से नई दिल्ली लाने के लिए उड़ान भरने थी, लेकिन ऐन वक्त में पाकिस्तान से फ्लाईओवर की परमिशन नहीं मिल सकी। किर्गिस्तान सिविल एविएशन के अनुसार डिंपल त्रिवेदी के अब गुरुवार सुबह नई दिल्ली पहुंचने की संभावना है।

संकटमोचक बने केंद्रीय मंत्री

कोरोना महामारी में विदेशों में फंसे भारतीयों के लिए केंद्रीय मंत्री शेखावत संकटमोचक बने हुए हैं। पासपोर्ट नहीं मिलने से पांच भारतीय युवा तीन माह से कुवैत में फंसे हुए थे। नियोक्ता कंपनी इनके कागजात नहीं दे रही थी, लेकिन शेखावत के दखल के बाद पांचों युवाओं के भारत लौटने का मार्ग प्रशस्त हो सका है। शेखावत के प्रयासों से नीमकाथाना निवासी नवीन कुमार शर्मा, बांसवाड़ा निवासी नटवर लाल और डूंगरपुर निवासी नारायण लाल की पार्थिव देह कुवैत से भारत आ पाई। ऐसे कई और उदाहरण हैं।