सबगुरु न्यूज-सिरोही। भाजपा प्रदेश महामंत्री को लिखे वायरल पत्र में डिनर पॉलिटिक्स के नाम पर कथित बाहरी नेता द्वारा समानांतर भाजपा संगठन खड़ा करने के जो आरोप लगे हैं क्या ऐसा सिरोही की भाजपा और कांग्रेस में पहली बार हुआ है? ऐसा नहीं है।
पिछले करीब डेढ़ दशक से विधानसभा चुनावों के डेढ़-दो साल पहले से भाजपा और कांग्रेस में जिला संगठन पर कब्जा जमाने की कोशिश होती रही हैं। इसी दशक में भाजपा में ही ये तीसरी कोशिश है।
-ये होती है इस समय असंतुष्टों के एकत्रिकरण की वजह
कांग्रेस हो या भाजपा। दोनों ही संगठनों में जिले में पिछले डेढ़ दशक से विधानसभा चुनावों के डेढ़ दो साल पहले से संगठन पर कब्जा जमाने की कोशिश होती दिखी हैं। इसके पीछे की प्रमुख वजह ये होती है कि भले ही जाति समीकरण कुछ भी हो, भले ही एक ही जाति के दो दावेदार हों दोनों ही पार्टियों में दावेदारों की प्राथमिकता में आज भी सत्तर प्रतिशत से ज्यादा सीटों पर जिला संगठन, ब्लॉक संगठन और मोर्चों के पदाधिकारियों के अनुशंसा पत्र महत्वपूर्ण होते हैं।
ये अनुशंसा पत्र मिलना तभी संभव है जब जिला, मंडलों और मोर्चों के मुख्य पदों पर दावेदारी करने वाले व्यक्ति के ही विश्वस्त बैठे हों। ये विधानसभा क्षेत्रों में अपनी दावेदारी पेश करने की प्रथम सीढ़ी होती है। सिरोही में 13 जुलाई को हुई डिनर पॉलिटिक्स में जिस प्रदेश स्तरीय नेता के अपनी बिसात बिछाने का आरोप चंद्रशेखर मिश्र को लिखे पत्र, व्हाट्सएप समूहों और फेसबुक पर लगाए जा रहे हैं, यदि वो भी दावेदार हैं तो ये करना जरूरी है।
-कब-कब हुई इस तरह की गोलबंदी
कांग्रेस की बात करें तो सिरोही के निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा जिला संगठन और ब्लॉकों पर अपने विश्वस्तों के बैठाने के लिए विवादित रहे हैं। जिले में कांग्रेस के अन्य धड़ों के नेता हर बार लोढ़ा की इस कोशिश को लेकर प्रदेश स्तर से आए पर्यवेक्षकों के सामने हंगामा करते रहे हैं। सिरोही का डाकबंगला, सर्किट हाउस और होटलें इस विरोध की गवाह रही हैं।
भाजपा के वर्तमान जिलाध्यक्ष जब पांच साल पहले जिलाध्यक्ष थे उस दौरान भी विधानसभा चुनावों से कुछ समय पहले सांगठनिक वर्चस्व के लिए अनादरा में विरोध झेलना पड़ा था। 2013 के विधानसभा चुनावों से पहले सिरोही में सारणेश्वर मंदिर में हुआ विवाद उनके कार्यकाल का चर्चित विवाद था।
2018 के विधानसभा चुनाव से करीब डेढ़ दो साल पहले सरजावाव दरवाजे पर पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष लुम्बाराम चौधरी के खिलाफ भी प्रदर्शन इसी तरह सांगठनिक वर्चस्व की कोशिश की घटना का हिस्सा माना जाता है। इस बार फिर विधानसभा चुनावों से दो साल पहले भाजपा में जो हो रहा है वो इस तरह के विरोध का अगला सेशन है।
लगातार….