नई दिल्ली। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि बैकों के करोड़ों रुपए डकारने के बाद देश से फरार हुए कारोबारी मेहुल चोकसी को भगाने में प्रधानमंत्री कार्यालय का हाथ है और शिकायतें मिलने के बावजूद इसी वजह से उसे सुरक्षित जाने दिया गया।
कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख रणदीप सिंह सुरजेवाला ने मंगलवार को यहां विशेष संवाददाता सम्मेलन में कहा कि चोकसी को भगाने में प्रधानमंत्री कार्यालय की संलिप्तता के प्रमाण हैं जिनसे साबित होता है कि बैंकों का करोड़ों रुपए लूटने वाले वाले इस कारोबारी को भगाने में प्रधानमंत्री कार्यालय की मिलीभगत है।
उन्होंने कहा कि चोकसी के फ्रॉड और उसके देश से भागने की संभावना को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय के साथ ही प्रवर्तन निदेशालय, केंद्रीय जांच ब्यूरो सहित कई अन्य एजेंसियों को कई शिकायतें की गई। इसमें पहली शिकायत पांच मई 2015 को प्रधानमंत्री कार्यालय से की गई थी। प्रधानमंत्री कार्यालय से जब इस बारे में पूछा गया तो संसद में खुद सरकार ने स्वीकार किया कि मेहुल के फ्रॉड की उसे जानकारी थी।
सुरजेवाला ने कहा कि मुंबई पुलिस में भी उसके द्वारा की गई धोखाधड़ी को लेकर प्राथमिकी दर्ज की गई। मुंबई पुलिस में की गई शिकायत के अलावा अहमदाबाद में भी उसकी शिकायत की गई। वहां दिग्विजय जडेजा नाम के एक व्यक्ति ने आर्थिक अपराध शाखा को 26 जुलाई 2016 को बताया कि मेहुल फ्रॉड है। यह मामला हाईकोर्ट पहुंचा और शिकायत में कहा गया कि वह विदेश भाग सकता है।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि इन सब शिकायतों के बावजूद प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड ने मेहुल चोकसी को क्लीन चिट सर्टिफिकेट दिया था। यही नहीं विदेश मंत्रालय ने भी उसे क्लीन चिट दी। यह खुलासा एंटीगुवा नागरिकता जांच इकाई की रिपोर्ट में हुआ है जिसके आधार पर उसे एंटीगुवा में रहने की स्वीकृति मिली। यह भगोड़ा एंटीगुवा में ही शरण लिए हैं।
उन्होंने कहा कि ताज्जुब की बात यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 20 अप्रेल 2018 को राष्ट्रमंडल देशों के प्रमुखों के सम्मेलन के दौरान एंटीगुवा के प्रधानमंत्री से ब्रिटेन में अलग से मुलाकात करते हैं लेकिन मेहुल चोकसी के बारे में कोई बातचीत नहीं की जाती है।
सुरजेवाला ने कहा कि एंटीगुवा सरकार को यह पता ही नहीं है कि उसके यहां एक भारतीय भगोड़ा है। इसकी वजह यह है कि वहां की नागरिकता के लिए जो दस्तावेज चाहिए उनमें चोकसी को क्लीनचिट मिली हुई है। उन्होंने कहा कि खुद एंटीगुवा के प्रधानमंत्री ने गत 27 जुलाई को कहा है कि भारत सरकार की तरफ से किसी भगोड़े के बारे में उन्हें कोई शिकायत नहीं मिली है।
उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने रिजर्व बैंक की एक समिति बनाई थी। समिति ने बैंकों से धोखाधड़ी करने वालों की सूची तैयार की थी। इस सूची में मेहुल चोकसी का भी नाम था और यह सूची सरकार को सौंपी गई थी। इसके वाबजूद उसे भागने दिया गया। इससे साफ होता है कि इस मामले में प्रधानमंत्री कार्यालय की संलिप्तता है।