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बैस्ट सैलर बुक पर चर्चा : हृदय में डूबने से ध्यान और खो जाने पर समाधि

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बैस्ट सैलर बुक पर चर्चा : हृदय में डूबने से ध्यान और खो जाने पर समाधि

अजमेर। राष्ट्रीय पुस्तक मेले में वर्ष 2018 की बैस्ट सैलर बुक द हार्टफुलनेस वे के संबंध में शुक्रवार को चर्चा की गई। इस पुस्तक में दी गई ध्यान पद्धति पर अपने अनुभव साझा करते हुए जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के एसोशिएट प्रोफेसर डॉ. विकास सक्सेना ने कहा कि हृदय में डूबने को ध्यान तथा हृदय में खो जाने की अवस्था को समाधी कहते है। पुस्तक में दी गई विधि के अनुसार ध्यान का प्रायोगिक अनुभव भी करवाया गया।

डॉ. सक्सेना ने कहा कि इस पुस्तक में जीवन के लक्ष्य के विभिन्न आयामों को दर्शाया गया है। इस कारण यह पुस्तक विद्यार्थियों, अधिकारियों, गृहस्थों एवं गृहणियों के लिए सम्मान रूप से उपयोगी है। इसमें जीवन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आसान तरीके विस्तापूर्वक बताए गए हैं।

उन्होंने कहा कि मानव जीवन का केन्द्र मनस है। जीवन को जीने के लिए मन की आवश्यकता है। इस मन का मालिक बनकर व्यक्ति देवत्त को प्राप्त कर सकता है। ध्यान एवं एकाग्रता में बुनियादी अन्तर है। ध्यान करने के लिए चुनी गई विषयवस्तु सूक्ष्मतम होनी चाहिए। इस सृष्टि में परमात्मा सबसे सूक्ष्म है। इसलिए परमात्मा पर सीधा ध्यान केन्दि्रत नहीं किया जा सकता। इसके लिए हृदय में उपस्थित परमात्मा के प्रकाश को ध्यान का विषय चुना जाता है।

उन्होंने कहा कि हृदय में उपस्थित ईश्वरीय प्रकाश को केन्द्र में रखकर उसमें डूब जाने पर ध्यान की अवस्था प्राप्त होती है। इससे आगे बढ़ने पर अभ्यासी इस ईश्वरीय प्रकाश में खो जाता है। इसे समाधी की अवस्था कहते है। हृदय में प्रकाश की उपस्थिति मानकर ध्यान में बैठने से जीवन में संतुलित निखार आता है। क्योकि हृदय चक्र संसारिक और आध्यात्मिक चक्रों के मध्य स्थित होता है। यहां प्रेम स्वरूप भाव के साथ ध्यान करने से चरित्र एवं व्यवहार में सकारात्मक परिवर्तन आता है।

उन्होंने कहा कि समस्त धर्मों में परमात्मा का निवास हृदय में माना गया है। यह हमारे अस्तित्व का केन्द्र बिन्दु होता है। हार्टफुलनेस भावना एवं अन्तः प्रेरणा से जीवन जीना सीखाता है। रिलेक्सैशन के माध्यम से व्यक्ति को रिलेक्स करके ध्यान की दिशा में आगे बढ़ाया जाता है। प्राणाहूति के कारण ध्यान की गहराई से व्यक्ति सीधा परमात्मा से जुड़ जाता है।

सोमरत्न आर्य ने कहा कि नियमित रूप से ध्यान व योग करने से दवा रहित जीवन जिया जा सकता है। ध्यान अन्दर महसूस होता है। रिलेक्सैशन के दौरान अनुपम शान्ति का अनुभव हुआ। इसी में आगे बढ़ने से परम शान्ति को प्राप्त किया जा सकता है।

रामचंद्र मिशन के स्थानीय प्रभारी शैलेश गोड ने बताया कि कमलेश डी. पटेल दाजी एवं जोशुआ पोलॉक के द्वारा लिखित पुस्तक द हार्टफुलनेस वे ध्यान, राजयोग, सेल्फ हेल्प, आध्यात्मिकता एवं योग के सम्बन्ध में विशेष सामग्री प्रदान करने वाली यह पुस्तक मेले में स्टॉल नम्बर 11 पर उपलब्ध है।

इसे राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द के द्वारा भारत में विमोचित किया गया था। विमोचन के साथ ही यह पुस्तक अमेजन पर 2018 की बेस्ट सेलर बुक रही। इसे भारत के साथ-साथ अमेरिका में भी जारी किया गया था। यह पुस्तक हिन्दुस्तान टाइम्स समूह के द्वारा 2018 को जारी पठनीय पुस्तक सूची में प्रथम स्थान पर रखी गई थी।

इसके साथ ही प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी करवाने वाले संस्थान इसे मोटिवेशनल पुस्तकों की श्रेणी में ऊपर रखते हैं। वर्तमान में यह पुस्तक अंग्रजी, हिन्दी, तमिल, मलयालम, गुजराती, कन्नड़ तथा मराठी भाषा में ऑनलाईन भी उपलब्ध है।