सबगुरु न्यूज- सिरोही। जाने अनजाने में कोरोना वायरस से मुक्ति पाने के लिए किए जा रहे उपाय लोगों को नई बीमारी देने का माध्यम बन सकती है। ऐसी आशंका दक्षिण भारत के कई राज्यों के साथ केंद्रीय स्वास्थ्य एवम परिवार कल्याण मंत्रालय भी जाहिर कर चुका है।
नकल के चक्कर में स्वास्थ्य पर होने वाले नुकसानों की अनदेखी की जा रही है। सेनेटाइजर के रूप में जिस तरह से सोडियम हाइपोक्लोराइट का उपयोग किया जा रहा है, उससे तो यही नजर आ रहा है कि ये लोग इसके उपयोग के लिए बने एसओपी यानी स्टेंडर्ड ऑपरेशन प्रोसेजर तक से परिचित हैं।
-शरीर पर एक्स्पोजर
कोविड 19 महामारी का संक्रमण शुरू होते ही देशभर में कई राज्यों में डिसइन्फेकटेन्ट टनल का इस्तेमाल एक उपलब्धि के रूप में कई जगह मीडिया की सुर्खियां बना। इसमें सेनेटाइजर के रूप में सोडियम हाइपो क्लोराइट को इंसानों पर सीधे इस्तेमाल किये जाने की बात सामने आई।
बाद में जब सोडियम हाइपो क्लोराइट का उपयोग सीधे मानव शरीर पर इस्तेमाल किये जाने से होने वाले नुकसान का पता चला तो दक्षिण भारत के कई राज्यों ने और उत्तर भारत के उत्तराखण्ड ने इसके इस्तेमाल पर रोक लगा दी। इसके बाद उत्तर प्रदेश के बरेली और हाल ही में दिल्ली नगर निकाय द्वारा पैदल जा रहे मजदूरों पर सोडियम हाइपो क्लोराइट के सीधे इस्तेमाल को अमानवीय करार देते हुए हंगामा मचा।
राजस्थान में सिरोही में भी डिसइंफेक्टेन्ट टनल का इस्तेमाल एक उपलब्धि माना जा रहा है। सबसे पहले चिकित्सालय, नगर परिषद सिरोही और नगर पालिका पिंडवाड़ा में इस तरह की टनल का इस्तेमाल हुआ। लेकिन शायद 7 मई तक सिरोही के ग्रीन जॉन में होने से इसके इस्तेमाल में कमी आ गई।
सिरोही में कोरोना का विस्फोट शुरू होने के बाद अब नए सिरे से सिरोही नगर परिषद ने सेंसर बेस टनल का इस्तेमाल शुरू किया गया है। इसमें किसी भी कार्मिक या व्यक्ति के घुसते ही सेंसर एक्टिव हो जाते हैं और इसमे लगे नोजल में से सोडियम हाइपो क्लोराइट का छिड़काव शुरू हो जाता है। इस टनल पर बाकायदा ये हिदायत लिखी है कि कार्यालय में घुसने से पहले 3-5 सेकेंड तक इस टनल में सेनेटाइजर में हाथों को सेनेटाइज करें। नगर परिषद आयुक्त शिवपाल सिंह ने बताया कि ये टनल जालोर के दानदाता द्वारा दान दी गई है।
-क्या है सोडियम हाइपोक्लोराइट के उपयोग का एसओपी
सोडियम हाइपोक्लोराइट यानी एनएओसीएल एक ऐसा डिस इंफेक्टेन्ट है जो प्रोटीन को विकृत कर देता है। बैक्टीरिया, माईक्रोबेक्टेरिया, फंगी के साथ साथ वायरस में भी प्रोटीन होते हैं।
पानी के साथ इसका इस्तमाल करने पर ये रासायनिक क्रिया करके हाइपोक्लोराइट बनाता है जो वायरस के बाहरी परत पर मौजूद इनके प्रोटीन को तोड़कर इन्हें निष्क्रिय करने का काम करता है।
शायद इसी कारण अमेरिका के राष्ट्रपति ने अपने यहां के वैज्ञानिकों को कोरोना वायरस को मारने के लिए दवा के रूप में पेस्टिसाइड के इस्तेमाल की संभावना पर काम करने की राय भी दे डाली थी, जिस पर बाद में काफी हंगामा मचा था।
घरों में सामान्यतः कपड़े धोने के लिए इस्तेमाल किये जाने वाला ब्लीच ही सोडियम हाइपो क्लोराइट है। डिसइनफेकंटेंट के रूप में इसके इस्तेमाल के लिए एक प्रोसेजर है। कोरोना वायरस को निष्क्रिय करने के लिए के लिए 1 प्रतिशत सोडियम हाइपोक्लोराइट के घोल को इस्तेमाल किया जाना भी इसी एसओपी का हिस्सा है।
मतलब सोडियम हाइपो क्लोराइट का इस्तेमाल सिर्फ पानी के साथ ही किया जाता है। पानी के साथ क्रिया करके ये हाइपो क्लोराइट और फिर हाइड्रो क्लोरिक एसिड बनाता है। ये वही एसिड है जो आम तौर पर हम लोग कुछ हल्के रूप में घरों में टॉयलेट क्लीनिंग में काम में लेते हैं। अब एसिड है तो जीवित ऑर्गेनिस्म के लिए नुकसानदेह तो होगा ही। इसलिए इसके एसओपी में स्पष्ट है कि इसे लिविंग ऑर्गेनिस्म यानी जीवित वस्तु पर उपयोग में नहीं लिया जाएगा। सीमित मात्रा में इसका इस्तेमाल मेटल या निर्जीव वस्तु पर किया जा सकता है।
दक्षिण भारत के कई चिकित्सकों ने ये बताया था कि इंसानों पर इसके सीधे इस्तेमाल से त्वचा, आंख और मुंह तीनों के लिए ये घातक हो सकता है।
इतना ही नहीं कोरोना वायरस के श्वसन तंत्र पर नुकसान के जिस प्रभाव से इंसानी जीवन को खतरा है, ठीक उसी तरह सोडियम हाइपो क्लोराइट के मुंह के माध्यम से गले और फेंफड़ो तक पहुंचने पर श्वसन समस्या होने की आशंका होती है।
– केंद्र ने डेढ़ महीने बाद जारी की एडवाइजरी
लम्बे समय से ना तो केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और न ही कई राज्य सरकारों ने सोडियम हाइपो क्लोराइट के मानव शरीर पर सीधे इस्तेमाल को लेकर कोई गाइडलाइन जारी की। इस कारण धड़ल्ले से मानव शरीर और इसका सीधा इस्तेमाल किया जा रहा है।
लेकिन, लोक डाउन शुरू होने के करीब डेढ़ महीने बाद 14 मई को केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की नींद उड़ी, उसने मीडिया रिपोर्ट्स और कई स्थानों से मिले पत्रों के आधार पर एक एडवाइजरी जारी की।
इसमें सोडियम हाइपो क्लोराइट का किसी मानव शरीर पर सीधे इस्तेमाल से शारीरिक और मानसिक दुष्प्रभाव होने की बात कही गई है।
एडवायजरी में इसके इस्तेमाल से त्वचा और आंख पर दुष्प्रभाव की बात भी कही गई है।
इतना ही नहीं ये भी लिखा है कि इसके कपड़े और शरीर पर इस्तेमाल से वायरस के मरने का कोई वैज्ञानिक प्रमाण भी नहीं है।
इसके बावजूद इन मार्गदर्शनो को पढ़े बिना ही सोडियम हाइपो क्लोराइट का सेनेटाइज टनल में इस्तेमाल किया जा रहा है।
हास्यास्पद ये भी है कि सिरोही के नेता इस टनल के राजनीतिक फायदे नुकसान के लिए तो जंग करते रहे, लेकिन वो भी मानव पर इसके सीधे इस्तेमाल से होने वाले नुकसान से आज तक अनभिज्ञ हैं या फिर उन्हें इंसानी जीवन से कोई लेना देना नहीं है।
वैसे व्हाट्सएप पर कॉपी, पेस्ट और फॉरवर्ड मैसेज के जमाने में इनसे आधिकारिक और पुष्ट सूचनाएं पढ़ने की आशा करना बेमानी भी है।