नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने सांसदों के वेतन एवं भत्तों के नियमन तथा पूर्व सांसदों के पेंशन समाप्त करने संबंधी याचिका आज खारिज कर दी।
न्यायमूर्ति जस्ती चेलमेश्वर और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की पीठ ने लखनऊ के गैर-सरकारी संगठन ‘लोक प्रहरी’ की याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ अपील खारिज की जाती है। याचिकाकर्ता ने सांसदों के वेतन, भत्ते एवं पेंशन कानून 1954 में संशोधन को निरस्त करने की गुहार लगायी थी। याचिकाकर्ता ने पूर्व सांसदों को पेंशन और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराये जाने के प्रावधानों को भी चुनौती दी थी।
न्यायालय ने गत सात मार्च को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता एस एन शुक्ला ने जबकि केंद्र सरकार की ओर से एटर्नी जनरल ने मामले की पैरवी की थी। याचिकाकर्ता की दलील थी कि सांसद न रहने के बावजूद माननीयों को पेंशन एवं अन्य भत्ते दिये जाते हैं जो संविधान के अनुच्छेद 14 में वर्णित समानता के अधिकार का उल्लंघन है।