अजमेर। अजमेर की ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की मजार शरीफ से उतरे फूलों को कायड़ विश्राम स्थली पर ही 30 गुणा 30 के कुएं में खाद बनाने के बजाए अब ठंडा किया जाएगा। यह क्रम पिछले दो दिनों से जारी हो चला है।
दरगाह नाजिम शकील अहमद ने बताया कि अब दरगाह कमेटी खिदमत के समय मजार से उतारे गए फूलों को प्राप्त करेगी और कायड़ विश्राम स्थली ले जाकर उन्हें विशेष रूप से तैयार किए गए कुएं पर ठंडा किया जाएगा।
अब यह स्पष्ट हो गया है कि फूलों से खाद नहीं बनाई जाएगी और इन फूलों को ‘ बरकती पत्तियों’ का नाम दिया जाएगा। दरगाह कमेटी कायड़ के पांच बीघा क्षेत्र के गुलाब के फूलों के पौधे लगाएगी। उनमें ही इन बरकती पत्तियों को डाला जाएगा। इसके जरिए बाग में उगने वाले गुलाब के फूलों की सेज बनाकर ख्वाजा साहब की मजार पर पेश किया जाएगा।
दोनों पक्षों के बीच सिद्धांततः यह बात तय कर ली गई है कि बरकती पत्तियों को न तो बेचा जाएगा और न ही किसी रूप में वितरित किया जाएगा। गौरतलब है कि तीर्थराज पुष्कर से आए सैंकड़ों टन गुलाब को अकीदतमंदों द्वारा प्रतिदिन मजार शरीफ पर चढ़ाया जाता है जो कि खिदमत के बाद मजार से उतार लिया जाता है।
दरगाह कमेटी ने हिंदुस्तान जिंक के जरिए उतारे गए फूलों से खाद बनाने का प्लांट स्थापित किया जिसकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी वीडियो कांफ्रेंसिंग में तारीफ की। बावजूद इसके कुछ खादिमों के विरोध के चलते खाद बनाने का काम कई दिनों से रुका हुआ था। नए निर्णय के अनुसार दरगाह कमेटी अब खाद नहीं बनाएगी और न ही उसे वितरित करेगी।