नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी के विधायकों ने ‘लाभ के पद’ के आधार पर उन्हें अयोग्य ठहराए जाने वाली अधिसूचना को चुनौती देते हुए मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
आप के विधायकों ने न्यायाधीश एस रविंद्र भट्ट की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष इस मामले को उठाया और केंद्र सरकार की अधिसूचना रद्द करने और बुधवार को मामले की सुनवाई सूचीबद्ध करने की मांग की।
इससे पहले निर्वाचन आयोग ने लाभ के पद का हवाला देते हुए आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को अयोग्य ठहराने की अनुशंसा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से की थी। आप विधायकों ने इससे पहले सोमवार को उच्च न्यायालय के समक्ष दायर याचिका वापस ले ली थी।
निर्वाचन आयोग ने राष्ट्रपति से इन विधायकों को अयोग्य करार दिए जाने की अनुशंसा की थी, जिसे राष्ट्रपति ने मंजूर कर लिया था।
कानून एवं न्याय मंत्रालय ने शनिवार को अधिसूचना जारी कर कहा था कि राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली क्षेत्र (जीएनसीटीडी) अधिनियम की धारा 15 (1) के तहत विधायकों को अयोग्य करार दिया है।
जिन विधायकों को अयोग्य करार दिया गया है, उनमें अलका लांबा, आदर्श शास्त्री, संजीव झा, राजेश गुप्ता, कैलाश गहलोत, विजेंद्र गर्ग, प्रवीण कुमार, शरद कुमार, मदन लाल खुफिया, शिवचरण गोयल, सरिता सिंह, नरेश यादव, राजेश ऋषि, अनिल कुमार, सोमदत्त, अवतार सिंह, सुखवीर सिंह डाला, मनोज कुमार, नितिन त्यागी और जरनैल सिंह शामिल हैं।
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