जकार्ता । बजरंग पुनिया और विनेश फोगाट के कुश्ती मुकाबलों के पहले दो दिन दो स्वर्ण पदक जीतने के बाद 18वें एशियाई खेलों के तीसरे दिन मंगलवार को कुश्ती में भारत के पदक अभियान को बरकरार रखते हुये दिव्या काकरान ने 68 किग्रा वर्ग में कांस्य पदक जीत लिया।
भारत की दो महिला पहलवान दिव्या काकरान(68) अौर किरण(76) तथा दो ग्रीको रोमन पहलवान ज्ञानेंद्र (60) और मनीष(67) मुकाबलों में उतरे लेकिन इनमें से दिव्या ही कांस्य पदक राउंड में जा पायीं और उन्होंने मात्र एक मिनट 29 सेकंड में ताइपे की वेनलिंग चेन को 10-0 से तकनीकी श्रेष्ठता के आधार पर धूल चटा दी। इस तरह भारत ने कुश्ती में तीसरे दिन भी पदक हासिल किया। भारत का इन खेलों में यह 10वां पदक है।
विनेश के ऐतिहासिक प्रदर्शन के बाद दिव्या ने देश को एक और पदक दिलाया। दिव्या को क्वार्टरफाइनल में मंगोलिया की तुमेनसेतसेग शारखु से 1-11 से हार का सामना करना पड़ा। पहले राउंड में 0-2 से पिछड़ने के बाद दिव्या ने दूसरा राउंड 1-9 से गंवाया। मंगोलियाई पहलवान के फाइनल में पहुंचने के बाद दिव्या को कांस्य पदक के लिये उतरने का मौका मिला है जहां उनकी भिड़ंत चीनी ताइपे की वेनलिंग चेन से हुई जिसमें दिव्या ने कमाल का प्रदर्शन किया।
दिव्या ने पहले ही मिनट में चेन को अपने दांव में दबोचते हुये एक के बाद एक अंक जुटाये और स्कोर 6-0 पहुंचा दिया। दिव्या ने चेन को फिर पकड़ा और लगातार अंक लिये जिसके साथ ही 10-0 पर मुकाबला समाप्त हो गया। दिव्या ने अपनी जीत के बाद एशियाई खेलों के अपने पहले पदक की खुशी का इजहार किया।
76 किग्रा में किरण को क्वार्टरफाइनल में किर्गिस्तान की मेदेत किजी एपेरी ने 4-2 से हराया। किरण पहले राउंड में 0-3 से पिछड़ गयीं। हालांकि उन्होंने दूसरे राउंड में दो अंक हासिल किये लेकिन विपक्षी पहलवान ने भी एक अंक लेकर 4-2 से मैच जीत लिया। मेदेत को सेमीफाइनल में हार का सामना करना पड़ा जिससे किरण की कांस्य में उतरने की उम्मीद टूट गयी।
ग्रीको रोमन में 60 किग्रा वर्ग में ज्ञानेंद्र ने क्वालिफिकेशन में थाईलैंड के पियाबुत विरातुल को 10-2 से हराया। लेकिन वह क्वार्टरफाइनल में उज्बेकिस्तान के इस्लोमजोन बेखरामोव से 0-5 से हार गये। बेखरामोव को सेमीफाइनल में जापानी पहलवान से हार मिली और उनकी हार के साथ ज्ञानेंद्र खेलों से बाहर हो गये।
77 किग्रा में मनीष ने क्वालिफिकेशन में जापान के सुचिका शिमोयमादा को 7-3 से हराया। लेकिन क्वार्टरफाइनल में वह कजाखिस्तान के अल्मत केबिसपाएव से 0-8 से हार गये। उज्बेक पहलवान के फाइनल में पहुंचने के कारण मनीष को रेपचेज में उतरने का मौका मिला जहां वह सात सेकंड में ताइपे के यिंगहुआ हुंग से चित होकर कांस्य की होड़ से बाहर हो गये। भारत के आखिरी चार ग्रीको रोमन पहलवान 77, 87, 97 अौर 130 किग्रा वर्ग में बुधवार को मुकाबलों में अपनी अंतिम चुनौती पेश करेंगे।