
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सबगुरु न्यूज-सिरोही। राज्य स्तरीय निजी चिकित्सालय संगठन, यूनाइटेड प्राइवेट क्लिनिक्स एंड हॉस्पिटल्स एसोसिएशन ऑफ राजस्थान (UPCHAR), द्वारा पूरे प्रदेश में राज्य सरकार के “राइट टू हेल्थ बिल” के विरोध में रविवार को चिकित्सक सेवा बंद का आव्हान किया गया।इसके समर्थन में सिरोही शहर के समस्त चिकित्सालयों में सुबह 8 बजे से सांय 8 बजे तक कार्य बंद रखा गया।
UPCHAR की सिरोही शाखा के सचिव डॉ सोहन कुमावत ने बताया कि स्टेट UPCHAR के आह्वान पर रविवार को शहर के समस्त चिकित्सालय बंद रखे गए। राइट टू हेल्थ बिल के प्रावधान प्रदेश के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को बुरी तरह आहत कर देंगे। जिससे न केवल चिकित्सक स्वछंद रूप से कार्य करने से डरेंगे, बल्कि जनता को भी मिलने वाले गुणवत्तापूर्ण इलाज में भारी कमी आयेगी।
स्थानीय UPCHAR अध्यक्ष डॉ राजेश मालवीय ने बताया कि राज्य सरकार स्वयं जनता को निशुल्क चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराने के बजाय, निजी अस्पतालों पर निशुल्क सेवा देने की जिम्मेदारी बिना पुनर्भुगतान की व्यवस्था के थोपना चाहती है।
गौरतलब है कि आज स्वास्थ्य क्षेत्र का 70% निजी चिकित्सा सेवा के सहयोग से संचालित हो रहा है। पहले से ही निजी स्वास्थ्य क्षेत्र को 50 से अधिक लाइसेंस अपने संचालन हेतु लेने पड़ते हैं। फिर भी राज्य सरकार ने उनको रियायतें देना तो दूर, पर उनके लिए ऐसे प्रावधान इस बिल में लाए हैं, जिनसे उनके अस्तित्व पर गहरा संकट छा जाएगा। इस बिल में निजी अस्पतालों को निशुल्क सेवा देने का निर्देश और उनके विरुद्ध प्राधिकरण द्वारा लिए गए निर्णय की न्यायलय में अपील तक का संवैधानिक अधिकार उनसे छीना गया है।
स्टेट UPCHAR बिल के प्रावधानों का घोर विरोध करते हुए राज्य सरकार से आग्रह करती है कि ऐसे बिल को वापिस ले अथवा उसमे चिकित्सको के सुझावों के अनुरूप संवैधानिक एवम आवश्यक संशोधन करे। अन्यथा विरोधस्वरूप इस आंदोलन को और तीव्र करने हेतु प्रदेशभर के चिकित्सकों को मजबूर होना पड़ेगा। चिकित्सक समुदाय और जनता के हितार्थ समस्त चिकित्सक इस राइट टू हेल्थ बिल का पुरजोर विरोध करते हैं। आईएमए, PHNHS, MPS, JARD आदि संगठनों का इस आंदोलन को समर्थन रहा।