जयपुर। हिंदू धर्म के अनुसार मकर सक्रांति पर दान, स्नान और उपासना का बहुत महत्व माना गया है। मकर ज्योतिष के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। सूर्य के एक राशि से दूसरी में प्रवेश करने को संक्रांति कहते हैं। मकर संक्राति के पर्व को कहीं-कहीं उत्तरायण भी कहा जाता है। मकर संक्राति के दिन गंगा स्नान, व्रत, कथा, दान और भगवान सूर्यदेव की उपासना करने का विशेष महत्त्व है। इस बार देश में मकर संक्रांति दो दिन मनाई जा रही है। इस बार सूर्य, मकर राशि में 14 जनवरी की रात 02:07 बजे प्रवेश करेगा।
इसलिए संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी। लाल किला खोलो 14 जनवरी को भी इस त्याेहार को मना रहे हैं। मकर संक्रांति से अग्नि तत्त्व की शुरुआत होती है और कर्क संक्रांति से जल तत्त्व की। इस समय सूर्य उत्तरायण होता है। इस समय किए जप और दान का फल अनंत गुना होता है। मकर संक्रांति पर माघ मेले में भारी संख्या में साधु-संतों की भीड़ देखी जा सकती है। इस दौरान दान करने की परंपरा को भी लोग श्रद्धा के साथ पूरा करते हैं।
मकर संक्रांति को देशभर में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है
मकर संक्रांति का पर्व जिस प्रकार देश भर में अलग-अलग तरीके और नाम से मनाया जाता है, उसी प्रकार खान-पान में भी विविधता रहती है। इस दिन तिल का हर जगह किसी न किसी रूप में प्रयोग होता ही है। पूरे उत्तर भारत में जैसे दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, बिहार, बंगाल और उड़ीसा में मनाया जाता है। मकर संक्रांति के दिन पतंगें उड़ाते हैं। इसके साथ ही साथ ठंड से परेशान लोगों के लिए भी यह एक राहत भरा दिन है, इसी दिन से मौसम करवट लेना शुरू कर देता है और मौसम हल्का गर्म होना शुरू हो जाता है। इसके बाद बसंत ऋतु का आगमन होता है।
कई राज्यों में इस पर्व पर खिचड़ी खाना शुभ माना जाता है
मकर सक्रांति पर्व पर पूरे उत्तर भारत में खिचड़ी खाना शुभ माना जाता है। इस दिन लगभग सभी घरों में खिचड़ी बनाई जाती है। हालांकि अलग-अलग राज्यों में अलग पकवान भी बनाए जाते हैं। मकर संक्रांति के मौके पर उत्तराखंड में मीठे आटे को घी में डीप फ्राई करके स्वीट डिश बनाने की अनोखी परंपरा है। वहीं पंजाब मकर संक्रांति के व्यंजनों में गजक, रेवड़ी और तिल के लड्डू मुख्य रूप से बनाए जाते हैं। महाराष्ट्र में लोग इस त्योहार पर एक-दूसरे को तिल के लड्डू खिलाते हुए कहते हैं ‘तिल-गुल घ्या, आणि गोड-गोड बोला। इसका मतलब होता है कि तिल और गुड़ खाओ और अच्छा-अच्छा बोलो।
महाराष्ट्र में इस वक्त पूरन पोली भी तैयार की जाती है, जो कि मूंग के साथ मीठी रोटी होती है। वहीं उत्तर भारत में तिल चिक्की, गजक, रेवड़ी, दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश में इस त्योहार पर खूब पसंद की जाती है। मकर संक्रांति के मौके पर बिहार में लोग दही चूरा और गुड़ में पके हुए चावल बनाते हैं। इसके साथ ही कई मसालों में बनी स्वादिष्ट खिचड़ी भी यहां बनाई जाती है। तिल के लड्डू, गुड़ से बने लड्डू भी यहां खूब पसंद किए जाते हैं। बंगाल में दूध पुली बनाई जाती है जो नारियल-गुड़ में बने चावल और आटे की पकौड़ी होती है, वहीं पीठे की पुली, पेष्टीपा, रसगुल्ला भी इस दिन बनाए जाते हैं। गुजरात में लोग इस दिन स्वादिष्ट अंहियो तैयार करते हैं।
मकर संक्रांति पर की जाती है पूजा-अर्चना
मकर संक्रांति के दिन व्रत रखने का प्रावधान माना जाता है। इस दिन पूजा करने के लिए तिल को पानी में मिलाकार नहाने की बात कही जाती है। पूजा से पहले नहाने के पानी में गंगा जल भी ड़ाला जा सकता है। नहाने के बाद सूर्यदेव की पूजा-अर्चना की जाती है। वहीं, मकर संक्रांति पर पूर्वजों और पितरों को तर्पण करने का भी प्रावधान है। माना जाता है कि मकर संक्रांति के दिन ही भगीरथ के आग्रह और तप से प्रभावित होकर गंगा उनके पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम पहुंची और वहां से होते हुए वह समुद्र में जा मिली थीं। यही वजह है कि इस दिन गंगा स्नान का खास महत्व है। मकर संक्रांति के दिन से ही प्रयागराज में कुंभ की शुरुआत होती है। जहां लाखों लोग गंगा में डुबकी लगाते हैं।
मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने की रही है परंपरा
मकर संक्रांति के अवसर पर भी कुछ परंपराओं का पालन किया जाता है। लेकिन इन परंपराओं और मान्यताओं के बीच एक चीज जो पूरे त्योहार में आकर्षण का केंद्र बनकर सामने आती है, वह है पतंग उड़ाना। मकर संक्रांति के मौके पर न सिर्फ हर उम्र के लोग पूरे जोश और मस्ती से पतंग उड़ाते हैं, बल्कि कई जगहों पर तो पतंगोत्सव का एक भव्य आयोजन भी किया जाता है या फिर कई तरह की प्रतियोगिताएं भी हाेती हैं।
मकर संक्रांति के पर्व पर पतंग उड़ाना सेहत के लिए विशेष रूप से लाभदायी माना गया है। हालांकि पतंग उड़ाने के पीछे कोई धार्मिक पक्ष नहीं है लेकिन फिर भी सेहत को देखते हुए इस दिन पतंग उड़ाना अच्छा माना जाता है। अमूमन सर्दी के मौसम में लोग अपने घरों में कम्बल में रहना पसंद करते हैं लेकिन उत्तरायण के दिन अगर कुछ देर धूप के संपर्क में रहा जाए तो इससे शरीर के कई रोग स्वतः ही नष्ट हो जाते हैं। मकर संक्रांति के दिन को पतंग उड़ाने का दिन भी कहा जाता है।
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार