केवड़िया। पाकिस्तान की ओर से पुलवामा आतंकी हमले के पीछे उसका ही हाथ होने की हालिया कथित स्वीकृति के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घटना को लेकर तब राजनीति करने को लेकर विपक्ष को जमकर लताड़ लगायी।
मोदी ने लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की 145वीं जयंती पर गुजरात के केवड़िया में उनकी दुनिया की सबसे ऊँची प्रतिमा स्टेच्यू ऑफ़ यूनिटी पर पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद अपने सम्बोधन में कहा यह देश कभी नहीं भूल सकता कि कुछ लोग पुलवामा हमले में जवानों की शहादत पर दुखी नहीं हुए थे। कांग्रेस या किसी अन्य विपक्षी दल का नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि उस समय वे लोग अपने राजनीतिक स्वार्थ देख रहे थे। कई लोगों ने उस समय भद्दी राजनीति की थी।
उन्होंने कहा जिस तरह से पड़ोसी देश (पाकिस्तान) की संसद में सत्य (पुलवामा हमले के बारे में) का स्वीकार किया गया है तो इन लोगों का चेहरा सामने आ गया है कि वे राजनीतिक स्वार्थ के लिए किस हद तक जा सकते हैं। मैं उनसे आग्रह करता हूं कि राष्ट्रहित के लिए ऐसी राजनीति ना करें।
उन्होंने कहा कि भारत की ताक़त और एकता दूसरों को खटकती है। वे हमारी विविधता को हमारी कमज़ोरी बनाना चाहते हैं और एक दूसरे के बीच खाई पैदा करना चाहते हैं। सीमा पर भारत की नज़र और नज़रिया बदल गए है। अपनी धरती पर नज़र करने वालों को करारा जवाब देने की ताक़त है।
आतंकवाद विरोधी फ़्रान्स के क़दमों की ख़िलाफ़त की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि कई देश आतंकवाद के समर्थन में आगे आ गए है जो विश्व शांति के लिए चिंता का विषय बना है। प्रत्येक सरकार को आतंकवाद के ख़िलाफ़ एकजुट होना चाहिए क्योंकि ऐसी हिंसा से किसी का भला नहीं हो सकता। भारत भी वर्षों से आतंकवाद से पीड़ित रहा है और अपनी एकता और दृढ़ इच्छा शक्ति से इसे पराजित किया है।
ज्ञातव्य है कि पिछले साल पुलवामा आतंकी हमले में अर्धसैनिक बल के 40 जवान मारे गए थे। सरकार ने इसके बाद जवाबी तौर पर सर्जिकल स्ट्राइक करते हुए सीमा पार बालकोट में आतंकी शिविर पर हवाई हमला किया था।
पुलवामा हमले तथा सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने सवाल खड़े किए थे। हाल में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के क़रीबी माने जाने वाले मंत्री फ़वाद चौधरी ने वहां की संसद में स्वीकार किया था कि पुलवामा हमले के पीछे पाकिस्तान का हाथ था।