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सिख गुरु गोविन्द सिंह की तप स्थली हेमकुंड साहिब के कपाट खुले - Sabguru News
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सिख गुरु गोविन्द सिंह की तप स्थली हेमकुंड साहिब के कपाट खुले

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सिख गुरु गोविन्द सिंह की तप स्थली हेमकुंड साहिब के कपाट खुले

देहरादून। उत्तराखंड में हिमाच्छादित हिमालय पर्वत की श्रंखलाओं पर स्थित पांचवें धाम के रूप में विश्व विख्यात सिखों के दशम गुरु श्री गोविंद सिंह जी के तप स्थान गुरुद्वारा श्री हेमकुण्ड साहिब जी के कपाट रविवार को श्रद्धालुओं के लिए विधिवत अरदास के साथ खोल दिए गए। इस पावन अवसर पर लगभग 5000 संगतों की उपस्थिति में श्री हेमकुण्ड साहिब जी की यात्रा का भव्य शुभारम्भ हो गया।

आज सुबह गुरुद्वारा गोबिंद घाट से आगे पैदल यात्रा मार्ग से चलकर पहला जत्था अपने मुख्य गंतव्य स्थल श्री हेमकुण्ड साहिब जी पहुंचा। पंज प्यारों की अगुवाई में गुरुद्वारा साहिब के मुख्य ग्रंथी सरदार मिलाप सिंह, मीत ग्रंथी सरदार कुलवंत सिंह एवं गुरुद्वारा के प्रबंधक सरदार गुरनाम सिंह द्वारा सुबह 9:30 बजे गुरु ग्रंथ साहिब जी को सुखासन स्थल से पावन दरबार साहिब में ले जाया गया तथा पावन प्रकाश करते हुए अरदास की। तद्पश्चात ग्रंथी साहिब द्वारा सुखमनी साहिब का पाठ किया गया। विश्व प्रसिद्ध रागी भाई मोहकम सिंह एवं साथियों द्वारा किए गए गुरबाणी कीर्तन से दरबार साहिब में उपस्थित संगत निहाल हो उठी।

गुरु ग्रंथ साहिब जी के सभी पावन स्वरूपों को ले जाते समय गढ़वाल स्काउट बैंड तथा पंजाब से आए बैंड ने अपने बैंड-बाजों के साथ विभिन्न धुनें बजाई। संगतों द्वारा किए गए कीर्तन ने माहौल को और भी पवित्र व खुशनुमा बना दिया। इसके साथ ही निशान साहिब जी के वस्त्र भी बदले गए।

इस अवसर पर, 418 इंडीपेंडेंट कोर के सैनिक एवं गढ़वाल स्काउंट के सैनिकों के साथ गुरुघर के सेवादारों ने सहयोग देकर सेवा निभाई। मुख्य रूप से कर्नल आरएस पुण्डीर, ऑफिसर कमांडर 418, ब्रिगेडियर देवेन्द्र सिंह एवं गुरुद्वारा ट्रस्ट के अध्यक्ष सरदार जनक सिंह ने भी सम्मिलित होकर गुरु दरबार में अपनी हाजिरी भरी तथा गुरुघर का आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर देश-विदेश से आये मीडिया कर्मी भी उपस्थित थे जिन्होंने पावन धाम के रमणीक व मनोहारी दृश्यों को अपने कैमरे द्वारा विश्वभर के लोगों तक पहुंचाने का कार्य किया।

उल्लेखनीय है कि शनिवार शाम को इस पवित्र धाम में हल्की बर्फबारी हुई थी, परंतु गुरु महाराज जी की अनुकम्पा से आज यात्रा शुभारम्भ के दिन खिलखिलाती धूप निकली। जिससे संगतों को किसी भी प्रकार की कोई परेशानी नहीं हुई।