जैसलमेर। राजस्थान सीमांत जैसलमेर जिले में लाठी धोलिया क्षेत्र में ट्रेन की चपेट में आने से दुर्लभ प्रजाति के गिद्धों के मौत होने का सिलसिला लगातार जारी हैं और शनिवार को भी ट्रेन चपेट में आने से एक दर्जन प्रवासी ग्रेफन गिद्धों की मृत्यु हो गई।
आए दिन गिद्धों कि मौतों से पक्षी प्रेमियो में भारी रोष एवं आक्रोश व्याप्त है। इसके बावजूद वनविभाग कि ओर से उनकी सुरक्षा को लेकर किसी भी प्रकार के पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए हैं और ना ही वहां पर गश्ती के लिए कार्मिक तैनात की गए हैं। पिछले 15 दिनो में रेल से गिद्दो के कटने की यह तीसरी घटना हैं। अब तक तीन घटनाओं में 20 गिद्धों की रेल से कटने से मृत्यु हो गई हैं जबकि शुकवार को दो गिद्दों की देगराय ओरण में विद्युत तारों से टकरा कर मृत्यु हो गई थी।
पक्षी एवं पर्यावरण प्रेमी राधेश्याम पैमानी ने बताया कि कि शनिवार सुबह धोलिया गांव के पास ट्रेन की चपेट में आने से एक साथ एक दर्जन गिद्धों की मौत हो गई। एक साथ एक दर्जन दुर्लभ प्रजाति के गिद्धों की मौत से क्षेत्र में सनसनी फैल गई।
रेलवे कार्मिकों की सूचना मिलने पर वह स्वयं के साथ अखिल भारतीय जीवरक्षा तहसील अध्यक्ष गौरीशंकर पूनिया सहित बड़ी संख्या में आसपास के वन्यजीव प्रेमी एवं ग्रामीण घटनास्थल पर पहुंचे। उन्होंने इस घटना को लेकर लाठी वनविभाग के कार्मिकों को सूचित किया। सूचना पर लाठी वनविभाग के कार्मिकों ने मौके पर पहुंचकर गिद्धों के शव को अपने कब्जे में लेकर आगे की कार्रवाई शुरू की।
उन्होने बताया कि लाठी, धोलिया, खेतोलाई, ओढाणिया, चांधन, सोढाकोर सहित आसपास का क्षेत्र पशु बहुल क्षेत्र है, यंहा के पशुपालकों के पास बड़ी संख्या में गाय, ऊंट, भेड़, बकरियां आदि है। यहां के पशु घास चरने के लिए रेलवे ट्रैक के पास स्थित खाली मैदानों एवं खेतों में जाते हैं। इस दौरान रेलवे पटरी को पार करते समय कई बार ट्रेन की चपेट में आने से उनकी मौत हो जाती हैं।
ऐसे पशुओं के शव पटरियों के किनारे पड़े रहते हैं। गिद्ध मृत पशुओं को खाने के लिए यहां आते हैं। ये गिद्ध जैसे ही यहां से रेल निकलती है,उस वक्त उसकी आवाज सुनकर उडकर भागने का प्रयास करते हैं। इसी दौरान वे रेल की चपेट में आ जाते है तथा उनकी मौत हो जाती हैं।