नयी दिल्ली । जाने-माने भारतीय वैज्ञानिक तथा वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद् (सीएसआईआर) के पूर्व महानिदेशक डॉ. आर.ए. मशेलकर को ‘द वर्ल्ड अकेडमी ऑफ साइंसेज’ (तवाज) ने प्रतिष्ठित तवाज-लेनोवो विज्ञान पुरस्कार, 2018 के लिए चुना है।
तवाज ने बताया कि स्मार्ट पॉलीमर जेल पर डॉ. मशेलकर के बीज संबंधी अनुसंधान के लिए उन्हें यह पुरस्कार प्रदान किया जायेगा जिससे बड़ी संख्या में नवाचारों का मार्ग प्रशस्त हुआ है। तवाज के अनुसार, “उनके अनुसंधान ने कृषि, औषधि और अन्य क्षेत्रों में विकास में सकारात्मक योगदान दिया है। भारत की विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी नीतियों को स्वरूप देने में उनका काफी प्रभाव रहा है। वह 18 साल तक राष्ट्रीय नवाचार फाउंडेशन के अध्यक्ष रहे हैं।”
पुरस्कार के लिए चुने जाने पर डॉ. मशेलकर ने कहा, “मैं अपने जीवन का यह सर्वश्रेष्ठ सम्मान अपनी स्वर्गीय माँ को समर्पित करता हूँ जिन्होंने बेहद गरीबी के बावजूद मुझे शिक्षा का उपहार दिया।”
वर्ष 1943 में जन्मे डॉ. मशेलकर जब छह साल के थे तब उनके सिर से पिता का साया उठ गया। इसके बाद उनकी माँ मुंबई चली आयीं। डॉ. मशेलकर की स्कूली शिक्षा म्यूनिसिपल स्कूल से हुई। गरीबी के कारण कई बार उनके पास नोटबुक तक नहीं होते थे लेकिन पढ़ाई में उनका रिकॉर्ड अच्छा रहा और उन्हें मुंबई के जय हिंद कॉलेज में दाखिला मिल गया। बाद में लेवरह्यूम फेलोशिप पाकर वह आगे की पढ़ाई के लिए ब्रिटेन के सैलफोर्ड विश्वविद्यालय चले गये।
सीएसआईआर के वर्तमान महानिदेशक शेखर मांडे ने डॉ. मशेलकर को बधाई देते हुये ट्वीट किया, “सीएसआईआर डॉ. मशेलकर के इस सम्मान पर गौरवांवित महसूस कर रहा है। यह किसी भी भारतीय वैज्ञानिक द्वारा प्राप्त सर्वोच्च सम्मानों में से एक है।”
तवाज-लेनोवो पुरस्कार की शुरुआत वर्ष 2013 में की गयी थी। इसमें एक लाख अमेरिकी डॉलर की राशि प्रदान की जाती है तथा विकासशील देशों के वैज्ञानिकों के लिए सर्वोच्च सम्मान में इसकी गणना की जाती है।
वर्ष 2014 में उन्हें देश के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया था। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वह फेलोशिप ऑफ रॉयल सोसाइटी (1998), अमेरिका के नेशनल अकेडमी ऑफ साइंस (2005) और नेशनल अकैडमी ऑफ इंजीनियरिंग (2003) तथा स्टार ऑफ एशिया (2005) से भी नवाजे जा चुके हैं।