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DRDO Bukhari will save 3650 crores every year - डीआरडीओ की बुखारी से हर साल होगी 3650 करोड़ की बचत - Sabguru News
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डीआरडीओ की बुखारी से हर साल होगी 3650 करोड़ की बचत

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डीआरडीओ की बुखारी से हर साल होगी 3650 करोड़ की बचत
DRDO Bukhari will save 3650 crores every year
DRDO Bukhari will save 3650 crores every year
DRDO Bukhari will save 3650 crores every year

नयी दिल्लीरक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने बेहद कम तापमान वाले इलाकों में तैनात सैनिकों के लिए नयी बुखारी विकसित की है जिससे सरकारी खजाने को हर साल करीब 3,650 करोड़ रुपये की बचत होगी। साथ ही इससे हानिकारक गैसों का उत्सर्जन भी नहीं होगा जो अभी परंपरागत बुखारी में होता है।

बुखारी मिट्टी के तेल से चलती है और एक रूम हीटर की तरह काम करती है। यह उन इलाकों में इस्तेमाल होती है जहाँ सैन्य शिविरों में बिजली नहीं है और इसलिए बिजली के रूम हीटरों का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। सियाचीन जैसे सीमावर्ती इलाकों में जहाँ तापमान शून्य से कई डिग्री तक नीचे चला जाता है और बिना हीटर के रहना संभव नहीं होता, वहाँ तंबुओं में गर्मी के लिए बुखारी का इस्तेमाल किया जाता है।

नयी बुखारी को डीआरडीओ के डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ फिजियोलॉजी एंड अलाइड साइंसेज (दिपास) के वैज्ञानिकों ने तैयार किया है। डीआरडीओ के एक अधिकारी ने ‘यूनीवार्ता’ को बताया कि इस बुखारी में दहन के दौरान ईंधन की ऊष्मा क्षमता का लगभग पूरा इस्तेमाल होने के कारण मिट्टी के तेल की खपत आधी हो जाती है। परंपरागत बुखारी में प्रति घंटा डेढ़ से दो लीटर मिट्टी के तेल की खपत होती थी जबकि इसमें 500 मिलीलीटर से 700 मिलीलीटर तेल प्रति घंटे खर्च होता है। इस तरह इससे प्रति दिन प्रति बुखारी 10 लीटर तक ईंधन की बचत होती है। इससे प्रदूषण भी कम होता है और इसका डिजाइन इस प्रकार का है कि ऊष्मा की बर्बादी बहुत कम होती है।

उन्होंने बताया कि सियाचीन जैसे दुर्गम इलाकों में मिट्टी का तेल पहुँचाने का खर्च इतना अधिक है कि उसकी वास्तविक कीमत 500 रुपये प्रति लीटर तक पहुँच जाती है। इस प्रकार प्रत्येक बुखारी पर रोजना पाँच हजार रुपये की बचत होगी। सेना इस समय 20 हजार बुखारी का इस्तेमाल कर रही है। इस प्रकार सभी परंपरागत बुखारी की जगह नयी बुखारी लगाने से रोजाना 10 करोड़ रुपये और साल भर में 3,650 करोड़ रुपये की बचत होगी।