बीकानेर | इंदिरा गांधी नहर से पश्चिमी राजस्थान को पीने के लिये पानी दस जून तक ही मिल पायेगा। यह हालत हिमाचल प्रदेश से बांधों में पानी की कम आवक के कारण पैदा हुऐ हैं।
भाखड़ा व्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) की कल चंडीगढ में हुयी बैठक में राजस्थान का हिस्सा 6050 क्यूसेक निर्धारित किया गया है, जो पीने के लिये ही हो पायेगा। सिंचाई विभाग हनुमानगढ़ के मुख्य अभियंता के एल जाखड़ ने आज यहां बताया कि 10 जून तक इंदिरा गांधी नहर में 3000, गंगनहर में 1600, भाखड़ा में 1200 और खारा प्रणाली में 250 क्यूसेक पानी छोड़ा जायेगा। उन्होंने बताया कि बांधों में पानी की आवक कम है, लिहाजा राजस्थान को पानी कम मिला है। उन्होंने बताया कि बीबीएमबी की अगली बैठक 11 जून को होगी जिसमें राजस्थान को आवंटित किये जाने वाले पानी के बारे में फिर से निर्धारण किया जायेगा।
बीबीएमबी की बैठक में लिये गये इस निर्णय से किसानों में निराशा छा गई है। यह उन पर लगातार तीसरी चोट है। करीब एक महीने से अधिक समय की नहरबंदी के बाद सिंचाई के लिये पानी की उम्मीद लगाये किसानों को उस समय झटका लगा जब पंजाब के अमृतसर में एक चीनी कारखाने से भारी मात्रा में शीरा व्यास नदी में छोड़ दिया गया। इस रसायन को निकालने के लिये इंदिरा गांधी नहर में पानी रोकना पड़ा। अब सिंचाई के लिये पानी नहीं मिलने से किसानों काे उद्वेलित होना लाजिमी है। वैसे इसका असर गंगनहर से जुड़े इलाकों में कम ही पड़ने की संभावना है, क्योंकि गंगनहर में अभी 1600 क्यूसेक पानी आ रहा है, इसमें करीब 150 से 200 क्यूसेक पानी पेयजल के लिये पर्याप्त है, शेष सिंचाई के लिये ही इस्तेमाल होता है। इंदिरा गांधी नहर पर निर्भर क्षेत्र के किसानों को अधिक मुश्किलें आयेंगी। वे इस अवधि में ग्वार के अलावा अन्य बीजों की बुआई नहीं कर सकते।