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Due to the policies of Congress governments the country became an importer of arms - Sabguru News
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कांग्रेस सरकारों की नीतियों के चलते हथियारों का आयातक बनकर रह गया देश: मोदी

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कांग्रेस सरकारों की नीतियों के चलते हथियारों का आयातक बनकर रह गया देश: मोदी
Due to the policies of Congress governments, the country became an importer of arms
Due to the policies of Congress governments, the country became an importer of arms

लखनऊ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को आरोप लगाया कि पिछली सरकारों की नीतियों के कारण देश आजादी के बाद रक्षा विनिर्माण और उत्पादन के क्षेत्र में अपनी पूरी क्षमता का इस्तेमाल नहीं कर पाया और हथियारों का आयातक बनकर ही रह गया।

मोदी ने यहां एशिया की सबसे बड़ी रक्षा प्रदर्शनी डेफ एक्सपो का उद्घाटन करने के बाद कहा कि आजादी के बाद की नीतियों के कारण देश रक्षा विनिर्माण और उत्पादन के क्षेत्र में अपनी पूरी ताकत का अपेक्षा के अनुसार लाभ नहीं उठा पाया और हथियारों का आयातक बनकर रह गया। उन्होंने कहा, दुनिया की दूसरी बड़ी आबादी, दुनिया की दूसरी बड़ी सेना और दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र, कब तक सिर्फ और सिर्फ आयात के भरोसे रह सकता था।

उन्होंने कहा कि 2014 के बाद रक्षा क्षेत्र में नीतियों में बदलाव और सुधारों का सिलसिला तेज किया गया क्योंकि आयात का बिल निरंतर बढ़ रहा था। देश ने अब 50 खरब डालर की अर्थव्यवस्था बनने का सपना देखना शुरू किया है।

इस मौके पर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, रक्षा राज्य मंत्री श्रीपद यसो नायक, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ तथा तीनों सेनाओं के प्रमुख भी मौजूद थे।

मोदी ने कहा कि आधुनिक शस्त्रों के विकास के लिए दो प्रमुख आवश्यकताएं अनुसंधान और विकास की उच्च क्षमता और उन शस्त्रों का उत्पादन करना है। बीते पांच-छह वर्षों में सरकार ने इसे अपनी राष्ट्रनीति का प्रमुख अंग बनाया है। उन्होंने कहा, अब हमारा लक्ष्य यह है कि आने वाले पांच वर्ष में रक्षा निर्यात को को अरब डालर यानी करीब 35 हज़ार करोड़ रुपए तक बढ़ाया जाए। सरकार ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में भी 100 फीसदी निवेश की मंजूरी दी है।

उन्होंने कहा कि इन्हीं नीतियों का परिणाम है कि आज देश में तोप, विमानवाहक पोत, फ्रिगेट, पनडुब्बी, हल्के लड़ाकू विमान और हेलिकॉप्टर जैसे साजो सामान बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि युग बदलने के साथ ही चुनौतियां बदल रही हैं और प्रौद्योगिकी आधारित होती जा रही है। प्रौद्योगिकी के दुरुपयोग और साइबर खतरे से निपटना भी पूरे विश्व के लिए बड़ी चुनौती है। इसे देखते हुए दुनिया की तमाम ताकतें सक्रिय हैं और भारत भी इससे अछूता नहीं रह सकता।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत रक्षा क्षेत्र में प्रभुत्व के लिए ताकत हासिल नहीं करना चाहता बल्कि वह विश्व में शांति बनाये रखने में योगदान और सहयोग देना चाहता है। भारत ऐसे क्षेत्र में है, जहां उसे अपनी सुरक्षा तो करनी ही है अपने मित्र राष्ट्रों की सुरक्षा भी उसी का दायित्व है। उन्होंने कहा, हमारी ताकत दूसरे देशों के खिलापफ नहीं है।

मोदी ने कहा, आज का हमारा मंत्र है मेक इन इंडिया, मेक फ़ोर इंडिया एंड फ़ोर वर्ल्ड। उन्होंने कहा, रक्षा और अर्थव्यवस्था जैसे विषयों की जानकारी रखने वाले जरूर इस बात को जानते हैं कि भारत सिर्फ एक बाज़ार ही नहीं है। भारत पूरे विश्व के लिए एक अपार अवसर भी है।

उन्होंने कहा कि तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश में दो बड़े रक्षा गलियारे बनाये गये हैं जिनमें निवेश के लिए 20 करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा गया है इनमें से छह हजार से ज्यादा का निवेश हासिल किया जा चुका है। देश में रक्षा विनिर्माण को और गति देने के लिए नए लक्ष्य रखे गये हैं। रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में एमएसएमई की संख्या को अगले पांच वर्षों में 15 हजार के पार पहुंचाने का भी लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने कहा कि आर्टिफ़िशल इंटेलिजेन्स के विकास के लिए भी रोडमैप बनाया गया है। अगले पाँच साल में 25 आर्टिफिशल इंटेलिजेन्स प्रोडक्ट बनाने का लक्ष्य है।

मोदी ने सुझाव दिया कि देश की प्रमुख औद्योगिक संस्थाओं को रक्षा विनिर्माण के लिए एक साझा मंच बनाना चाहिए जिससे वे रक्षा क्षेत्र में प्रोद्योगिकी के विकास और उत्पादन दोनों का लाभ उठा सकें। उन्होंने कहा कि यह गौरव की बात है कि देश ने स्वदेशी प्रोद्योगिकी के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि हासिल की है। इसरो पूरी दुनिया के लिए बाहरी अंतरिक्ष में खोज कर रहा है वहीं डीआरडीओ इन संसाधनों को गलत ताकतों से बचाने के लिए एक दीवार बना रहा है।

उन्होंने कहा कि जब भी 21वीं सदी की चर्चा होती है तो स्वाभाविक रूप से भारत की तरफ ध्यान जाता है। उन्होंने कहा,
आज का ये डिफेंस एक्सपो भारत की विशालता, उसकी व्यापकता, उसकी विविधता और विश्व में उसकी विस्तृत भागीदारी का सबूत है। आज का ये अवसर भारत की रक्षा-सुरक्षा की चिंता करने वालों के साथ-साथ पूरे भारत के युवाओं के लिए भी बड़ा अवसर है। ‘मेक इन इंडिया’ से भारत की सुरक्षा बढ़ेगी, वहीं रक्षा क्षेत्र में रोजगार के नये अवसर भी बनेंगे।

मोदी ने प्रदर्शनी में आये निवेशकों को भरोसा दिलाया कि यहां निवेश करने से उन्हें अच्छा मुनाफा मिलेगा और भारत को रक्षा क्षेत्र में बड़ा हब बनाने में उनका योगदान भी रहेगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार देश को रक्षा उत्पादन का गढ़ बनाने के लिए ‘तीन पी यानी पालिसी, प्रोडक्शन और पार्टनरशिप’ की रणनीति पर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार की इस रणनीति का परिणाम है कि वर्ष 2017 में रक्षा निर्यात 4500 करोड़ रुपये था जो अब बढ़कर 2019 में 10700 करोड़ रुपये हो गया है। उन्होंने कहा कि दुनिया में भारत की भूमिका अब खरीदार और विक्रेता से आगे बढ़कर साझेदारी वाले देश की बन गयी है।

उन्होंने कहा कि भारत की आपूर्ति चेन बढ़ रही है और वह नये-नये देशों के साथ जुड़ रहा है। प्रदर्शनी में लगाये गये इंडिया पवेलियन को उन्होंने देश की रक्षा क्षेत्र में भविष्य की क्षमताओं का झरोखा करार दिया। उन्होंने युवाओं से ‘मेक इन इंडिया’ की चुनौती को स्वीकारने का आह्वान करते हुए कहा कि इससे उन्हें मौका मिलेगा और देश को सफलता मिलेगी।