प्रयागराज | पहाड़ों पर हो रही बारिश तथा बैराजों से गंगा-यमुना में छोड़े गये पानी से जलस्तर में वृद्धि होने के कारण श्रद्धालु पतित पावनी गंगा में आस्था की डुबकी लगाने के बाद किला स्थित मूल अक्षयवट के दर्शन नहीं कर पाने से निराश होकर लौट रहे हैं।
पहाड़ों पर लगातार वर्षा और बैराजों से गंगा और यमुना नदी में पानी छोड़े जाने से जलस्तर में वृद्धि हो गयी है। अक्षयवट के दर्शन के लिये अन्दर जाने वाले मार्ग पर जलभराव हो गया है। जलभराव के कारण सुरक्षा की दृष्टि से श्रद्धालुओं के लिए अक्षयवट के दर्शन पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
कौशाम्बी के सेवानिवृत्त शिक्षक राम नरेश श्रीवास्तव पत्नी सविता देवी के साथ प्रयागराज गंगा स्नान करने की इच्छा से सुबह पहुंचे। उन्होंने बताया कि गंगा के बढ़े जलस्तर और सुरक्षा के कड़े प्रबन्ध के कारण हमें प्रतिबंधित क्षेत्र से पहले ही घुटनेभर पानी में स्नान कर संतोष करना पड़ा। चारों तरफ जलभराव होने के कारण एक बार दिशा दिग्भ्रमित हो गया।
उन्होंने बताया कि पौराणिक कथाओं के अनुसार प्रयाग में स्नान के बाद जब तक अक्षयवट का पूजन एवं दर्शन न हो, तब तक पुण्य का लाभ नहीं मिलता है। उन्होेंने कहा कि इसी तमन्ना के साथ मौके पर पुलिस के जवानों से वटवृक्ष जाने का मार्ग पूछने पर बताया गया कि अन्दर जाने के लिए बाहर मार्ग पर अधिक पानी भरा होने के कारण दर्शन पर रोक लगा दी गयी है।