चित्तौड़गढ़। चित्तौड़गढ़ जिले की एक अदालत ने सोलह वर्ष पुराने ‘काम के बदले अनाज योजना’ में फर्जी तरीक़े से श्रमिकों का भुगतान उठा लेने के मामले में आरोपी डूंगला के उपखंड अधिकारी की सोमवार को जमानत याचिका खारिज करके उसे जेल भेज दिया।
इससे पहले कपासन के अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में काम के बदले अनाज योजना में भ्रष्टाचार के आरोपी तत्कालीन नायब तहसीलदार और वर्तमान में डूंगला के उपखंड अधिकारी शंकरलाल सालवी ने अदालत में जमानत याचिका पेश की जिसे पीठासीन अधिकारी ने खारिज करते हुए उसे जेल भेजने के आदेश दिए। आरोपी की अर्जी पहले जिला एवं सत्र न्यायालय एवं राजस्थान उच्च न्यायालय भी खारिज कर चुका था।
मामले के अनुसार वर्ष 2002 में भूपालसागर निवासी शंकरलाल कुमावत ने न्यायालय में इस्तगासा पेश किया था कि आरोपी तत्कालीन नायब तहसीलदार शंकरलाल सालवी, पटवारी रामेश्वर लाल एवं राशन डीलर चंपालाल ने काम के बदले अनाज योजना के मस्टररोल में नियोजित उसकी पत्नी सहित अन्य कई श्रमिकों के फर्जी अंगूठे लगाकर मजदूरी का भुगतान उठा लिया।
न्यायालय के आदेश पर पुलिस ने आरोपियों के विरुद्ध भ्रष्टाचार की विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज करके जांच शुरु की, लेकिन आरोपी गिरफ्तारी एवं न्यायालय में उपस्थित होने से बचते रहे। बाद में आरोपी सालवी पदोन्नत होकर उपखंड अधिकारी बन गया जो वर्तमान में जिले के डूंगला में पदस्थ है। इसी मामले में वह आज कपासन न्यायालय में उपस्थित हुआ था।