हैदराबाद। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पीएमएलए के प्रावधान 2002 के तहत मधुकॉन ग्रुप ऑफ कंपनीज, उसके निदेशकों और प्रमोटरों से संबंधित 96.21 करोड़ रुपए की 105 अचल संपत्तियों और अन्य संपत्तियों को अस्थायी रूप से कुर्क किया जब्त किया है।
ईडी ने जिन लोगों की सम्पत्तियों को जब्त किया है, उनके खिलाफ मेसर्स रांची एक्सप्रेसवे लिमिटेड बैंक धोखाधड़ी के मामले मनी लॉन्ड्रिंग केस दर्ज किया है। ईडी की ओर से शनिवार को एक विज्ञप्ति में बताया गया कि इस मामले में पीएमएलए की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो की भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो रांची द्वारा 12 मार्च, 2019 को दर्ज की गई प्राथमिकी के आधार पर शुरू की गई थी। सीबीआई ने मेसर्स रांची एक्सप्रेसवे लिमिटेड (मधुकॉन समूह की कंपनी) और उसके निदेशकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी।
इस मामले में सीबीआई ने 30 दिसंबर 2020 को मेसर्स रांची एक्सप्रेसवे लिमिटेड और अन्य के खिलाफ विशेष न्यायाधीश, रांची के समक्ष आरोप पत्र दायर किया थी। वहीं इस मामले में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने 18 मार्च 2011 को मैसर्स मधुकॉन प्रोजेक्ट लिमिटेड को डिजाइन, निर्माण, वित्त, संचालन और हस्तांतरण (डीबीएफओटी) के आधार पर रांची-रारगांव-जमशेदपुर खंड पर 114 किमी से 277.50 किमी (लगभग 163.50 किमी) तक एनएच-33 की चार-लेन की परियोजना को वार्षिकी के आधार पर प्रदान किया था।
उल्लेखनीय है कि कम्मा श्रीनिवास राव, नामा सीतैया और नामा पृथ्वी तेजा उक्त कंपनी के संस्थापक निदेशक थे और मधुकॉन प्रोजेक्ट लिमिटेड परियोजना के इंजीनियरिंग प्रोक्योरमेंट कंस्ट्रक्शन (ईपीसी) ठेकेदार थे।
मधुकॉन समूह पूरी ऋण राशि प्राप्त करने के बावजूद परियोजना को पूरा नहीं कर सका, और बाद में, उनका अनुबंध समाप्त कर दिया गया और उच्च न्यायालय के निर्देशों के आधार पर एक प्राथमिकी दर्ज की गई। जांच के दौरान ईडी ने छापेमारी की। मधुकॉन समूह के कई बैंकरों, फॉरेंसिक लेखा परीक्षकों, इंजीनियरों, उप-ठेकेदारों और प्रमोटरों के बयान दर्ज किए तथा फंड की जांच की।
ईडी ने जून 2021 में तलाश अभियान के दौरान मधुकॉन ग्रुप के चेयरमैन नामा नागेश्वर राव के आवासीय परिसर से आपत्तिजनक सबूत और 34 लाख रुपए जब्त की थी।