श्रीनगर। पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेशनल कांफ्रेंस (एनसी) के अध्यक्ष डा. फारूक अब्दुल्ला से जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन (जेकेसीए) घोटाले के सिलसिले में प्रवर्तन निदेशालय ने सोमवार को पूछताछ की।
इस बीच एनसी उपाध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला तथा पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने डा. अब्दुल्ला से हुई पूछताछ को राजनीतिक प्रतिशोध का परिणाम बताया है जबकि पीडीपी के वरिष्ठ नेता एवं पीडीपी-भारतीय जनता पार्टी गठबंधन सरकार के पूर्व प्रवक्ता नईम अख्तर ने कहा कि यह सरासर धमकी है।
ईडी के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि डा. अब्दुल्ला को दो दिन पूर्व ईडी की ओर से जेकेसीए घोटाले के संबंध में सोमवार को इसके सामने पेश होने का समन जारी किया गया था। डा. अब्दुल्ला आज जैसे ही यहां राजबाग स्थित कार्यालय में पहुंचे तो उनसे पूछताछ शुरू हो गई।
इससे पहले डा. अब्दुल्ला से 31 जुलाई 2019 को चंडीगढ़ में पूछताछ की गई थी। इसके पांच दिनों के बाद ही यानी पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त कर दिया गया था तथा डा. अब्दुल्ला, उनके पुत्र उमर तथा मुफ्ती समेत विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं को हिरासत में या फिर नजरबंद कर दिया गया था।
डा. अब्दुल्ला से की जा रही पूछताछ का आधार जेकेसीए में हुए 38 करोड़ रुपए के घोटाले के संबंध में वर्ष 2015 में केंद्रीय जांच ब्यूरो की ओर से दर्ज प्राथमिकी है। बाद में सीबीआई ने जेकेसीए के तत्कालीन अध्यक्ष डा. अब्दुल्ला और अहसान मिर्जा समेत तीन अन्य के विरूद्ध आरोप पत्र दाखिल किए।
मिर्जा ने सीबीआई के समक्ष कथित रूप से खुलासा किया कि उसने जो कुछ भी किया वो डा. अब्दुल्ला के निर्देश पर किया। यह भी आरोप है कि बीसीसीआई की ओर से खेल के बुनियादी ढांचे को विकसित करने और क्रिकेट मैचों के आयोजन के लिए प्रदान की गई धनराशि का गलत इस्तेमाल किया गया है।
जिस समय यह घोटाला हुआ उस समय डा. अब्दुल्ला जेकेसीए के अध्यक्ष पद पर थे। इस मामले में जेकेसीए के पूर्व महासचिव सलीम खान, कोषाध्यक्ष अहसान मिर्जा तथा बैंक के कार्यकारी अधिकारी बशीर अहमद के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है।
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इस बीच उमर अब्दुल्ला ने अपने पिता सांसद फारुक अब्दुल्ला से प्रवर्तन निदेशालय की पूछताछ पर इसे केवल गुपकार समझौते पर जो पार्टियां एकजुट हुई हैं, उसका बदला करार दिया है। उन्होंने ट्वीट किया कि पार्टी की तरफ से ईडी के समन का जवाब दिया जाएगा। ये केवल गुपकार समझौते पर जो पार्टियां एकजुट हुई हैं उसका बदला लिया जा रहा है। हालांकि ईडी ने फारूक अब्दुल्ला के घर पर कोई रेड नहीं की है।
जेकेसीए में धांधली का मामला काफी पुराना है। पहले इसकी जांच जम्मू-कश्मीर पुलिस कर रही थी, जिसके बाद अदालत ने इसे सीबीआई को सौंपा दिया था। बाद में इस पूरा मामला धनशोधन से जुड़ा और ईडी भी जांच में शामिल हो गया।
राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की रिहाई के बाद जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाने को लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों की बैठक हुई थी जिसमें कांग्रेस भी शामिल हुई थी। बैठक में 370 अनुच्छेद को फिर से बहाल करने की मांग की गई है।