नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय ने धनशोधन निवारण अधिनियम के तहत दर्ज मामले में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बहनोई रॉबर्ट वाड्रा की अग्रिम जमानत रद्द करने के संबंध में दिल्ली उच्च न्यायालय में शुक्रवार को एक याचिका दाखिल की।
ईडी ने वाड्रा पर लंदन के 12 ब्रिंस्टन स्क्वायर में 10 लाख 90 हजार पाउंड की लागत से खरीदी गयी संपत्ति में धन लगाने का आरोप है। इस संपत्ति का मालिक वाड्रा को बताया जाता है।
ऐसा आरोप है कि स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी एलएलपी के कर्मचारी मनोज अरोड़ा की इस मामले में महत्वपूर्ण भूमिका रही है। ईडी के दावे के मुताबिक अरोड़ा के पास वाड्रा की इस अघोषित संपत्ति को लेकर पूरी जानकारी है तथा इसको लेकर धन एकत्र करने में भी उसने अहम भूमिका निभाई।
एजेंसी के मुताबिक अरोड़ा ने वाड्रा की अघोषित संपत्ति के लिए विदेशों में धन की व्यवस्था की और उसका उपयोग संयुक्त अरब अमीरात की कुछ जुड़ी एजेंसियों के जरिए किया गया और हरियाणा के गुरुग्राम में भूमि सौदों में कथित अनियमितताओं के लिए किया गया।
वाड्रा और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ पिछले साल सितंबर महीने में एक प्राथमिकी दर्ज की गयी थी। वाड्रा पर आरोप है कि उनकी कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी ने वर्ष 2008 में शिकोहपुर गांव में 3.5 एकड़ जमीन बेची थी, जो बाजार दर की तुलना में डीएलएफ की वास्तविक दर से अधिक थी। राजस्थान के बीकानेर में कंपनी द्वारा जमीनों की खरीद और उसके बाद की बिक्री पर भी सवाल उठाए गए हैं।
जांच के दौरान वाड्रा के सहयोगियों से जुड़े व्यावसायिक परिसरों पर छापे मारे गए हैं और प्रवर्तन निदेशालय ने उन्हें कथित धन शोधन मामले में पूछताछ के वास्ते उपस्थित रहने के लिए कहा है।
ईडी के मुताबिक काला धन निवारण अधिनियम और कर कानूनों के तहत आयकर विभाग ने फरार हथियार डीलर संजय भंडारी के खिलाफ एक अन्य मामले की जांच के दौरान अरोड़ा के विरुद्ध मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया गया था।
प्रवर्तन निदेशालय ने पहले कहा कि रॉबर्ट वाड्रा जांच एजेंसी के साथ सहयोग नहीं कर रहे हैं, इसलिए जांच में उनके हिरासत की आवश्यकता है। ईडी के वकील ने कहा कि लंदन में विभिन्न नई संपत्तियों के बारे में जानकारी मिली हैं जो कथित तौर पर वाड्रा की हैं, जिनमें 50 और 40 लाख पाउंड के दो घर, छह फ्लैट और अन्य अचल संपत्ति शामिल हैं।
विशेष न्यायाधीश अरविंद कुमार ने एक अप्रेल को मनोज अरोड़ा और वाड्रा को पांच लाख रुपए के जमानती बांड और उसी राशि की जमानत की शर्तों के साथ जमानत मंजूर की थी। न्यायाधीश ने वाड्रा को अदालत की अनुमति के बिना देश नहीं छोड़ने और सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं करने का निर्देश दिया था।
ईडी के लिए वकील ने उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका के माध्यम से प्रस्तुत किया कि वाड्रा को जमानत के माध्यम से दी गई सुरक्षा जांच के उद्देश्य के लिए हानिकारक होगी। प्रवर्तन निदेशालय ने मामले में सह अभियुक्त अरोड़ा को दी गयी अग्रिम जमानत को भी चुनौती दी है, उसका कहना है कि सबूतों के साथ छेड़छाड़ का खतरा है।