अजमेर। राजस्थान में ख्वाजा की नगरी अजमेर शरीफ में आज ईदुलफितर के मौके पर ईद की नमाज अता की गई। कोरोना लॉकडाउन नियमों की सख्ती से पालना के बीच केसरगंज स्थित ईदगाह पर एक दो लोगों ने ही नमाज पढ़ रस्म अदाएगी की। यहां हर साल जुटने वाले हजारों लोग इस बार कहीं नजर नहीं आए और पूरी ईदगाह में सन्नाटा पसरा रहा।
ईदगाह के दरवाजों पर ताला नजर आया। हर साल ईद के मौके पर यहां न केवल अजमेर शहर बल्कि आसपास के क्षेत्रों यथा खानपुरा, ऊंटड़ा, गेगल, गगवाना, छातड़ी, दौराई, सोमलपुर के नमाजी जुटते हैं लेकिन आज ईदगाह वीरान नजर आई। यहां अजमेर दरगाह कमेटी की ओर से हर साल किए जाने वाले प्रबंध भी शून्य रहे।
प्रशासनिक व्यवस्थाएं क्षेत्र में नहीं थी। यहां तक की प्रमुख राजनीतिक दल के नेता भी ईद की मुबारकबाद देने ईदगाह के केसरगंज क्षेत्र नहीं पहुंचे। कुल मिलाकर ईद के मौके पर ईदगाह में होने वाली सार्वजनिक नमाज नहीं हुई और मुसलमानों ने अपने घरों पर ही नमाज अदा की।
इसी तरह अजमेर दरगाह शरीफ स्थित शहाजहांनी मस्जिद व संदली मस्जिद में भी चुनिंदा गिनती के पास धारकों ने ईद की नमाज अदा कर मुल्क में अमन चैन, खुशहाली, भाईचारे, कौमी एकता के साथ साथ महामारी मुक्ति के लिए दुआ की। ईद के मौके पर खुलने वाला जन्नती दरवाजा भी अलसुबह 4.30 बजे खोला गया जिसमें से केवल रस्म अदाएगी वाले पास धारक खादिम ही प्रवेश कर पाए।
जन्नती दरवाजा खुलने की 800 साल पुरानी पारंपरिक परंपरा रही है लेकिन इतने वर्षों में यह पहला मौका है जब जन्नती दरवाजे के बाहर अकीदतमंदों की लंबी लंबी कतार नहीं है और चुनिंदा खादिम ही रस्म अदाएगी कर रहे है क्योंकि किसी आम जायरीन अथवा अकीदतमंद को दरगाह में ही प्रवेश की इजाजत नहीं है।
उल्लेखनीय है कि दरगाह कमेटी की ओर से हर साल ईद पर नमाज के लिए जारी किए जाने वाला कार्यक्रम इस बार लॉकडाउन नियमों की पालना के तहत जारी नहीं किया गया। लिहाजा आज सुबह ईद के प्रारंभिक घंटों में मुस्लिम परिवार घरों में ही रहकर नमाज अदा कर अल्लाह से खुशियां, मोहब्बत, इंसानियत, भाईचारे व कोरोना संकट से मुक्ति के लिए दुआ कर रहे है तथा मोबाईल व आनलाइन ही ईद की बधाईयां दे रहे है।
खबर लिखे जाने तक नमाज का वक्त मुकर्र नहीं होने से घरों में नमाज व दुआ का दौर चल रहा है। इसके बाद मुस्लिम परिवारों में सिवयों और मेवों की महक भी देखने को मिलेगी। दरगाह कमेटी के नाजिम शकील अहमद ने कहा कि उनके जीवनकाल में यह पहला मौका है जब ईदगाह में ईद की नमाज अदा नहीं की जा सकी हो।
जन्नती दरवाजा खिदमत के बाद बंद
ईदुलफितर के मौके पर राजस्थान के अजमेर स्थित ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह परिसर में स्थित खोला गया जन्नती दरवाजा दोपहर की खिदमत के बाद बंद कर दिया गया।
800 साल के इतिहास में यह पहला मौका रहा कि लाकडाऊन नियमों की पालना में जन्नती दरवाजे पर अकीदमंद नहीं पहुंच सके। सभी धार्मिक रस्में चन्द पासधारक खादिमों ने पूरी की। ईद पर आज सुबह 4.30 बजे परम्परागत तरीके से दरवाजा खोला गया था।
स्मरण रहे अब जन्नती दरवाजा अगले पांच दिन बाद एकबार फिर खुलेगा जब ख्वाजा साहब के गुरु ख्वाजा उस्मान हारूनी का उर्स का आगाज होगा।