अयोध्या। उत्तर प्रदेश के अयोध्या में श्रीरामजन्मभूमि पर विराजमान रामलला के भव्य राम मंदिर की नींव की गुणवत्ता परखने के लिए देश के आठ प्रतिष्ठित भू-विशेषज्ञों की कमेटी गठित की गई है।
समिति के सूत्रों ने सोमवार को बताया कि राम मंदिर निर्माण समिति ने मंदिर निर्माण को लेकर रविवार को एक और अधिसूचना जारी कर आठ सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया है जिसमें देश के टॉप इंजीनियरों को रखा गया है। इसका उद्देश्य विभिन्न भू तकनीकी सुझावों को ध्यान में रखते हुए उच्चतम गुणवत्ता और दीर्घायु के साथ मंदिर का निर्माण कराना है।
उन्होंने बताया कि कमेटी में प्रो बीएस राजू, पूर्व निदेशक आईआईटी दिल्ली अध्यक्ष होंगे जबकि प्रो एन गोपाला कृष्णनन, निदेशक सीबीआरआई रुडक़ी को संयोजक नियुक्त किया गया है। समिति के अन्य सदस्यों में प्रो एसआर गांधी निदेशक एनआईटी सूरत, प्रो टीजी सीताराम निदेशक आईआईटी गुवाहटी, प्रो बी भट्टाचार्जी आईआईटी दिल्ली, एपी मुल सलाहकार टीसीई, प्रो मनु संथानम आईआईटी मद्रास, प्रो प्रदीप्ता बनर्जी आईआईटी मुंबई शामिल हैं। समिति अपनी रिपोर्ट 15 दिसम्बर तक सौंपेगी।
सूत्रों ने बताया कि आवश्यकतानुसार ट्रस्ट के प्रोजेक्ट मैनेजर जगदीश आप्टे व निर्माण समिति के सलाहकार एके मित्तल से भी सलाह मशविरा कर सकेगी। उन्होंने बताया कि रामजन्मभूमि स्थल पर 200 फिट नीचे भुरभुरी बालू मिलने से राम मंदिर निर्माण नींव का कार्य फिलहाल रोक दिया गया था, अब इस कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद ही नींव का काम चालू होगा।
उन्होंने बताया कि पुख्ता नींव तैयार करने के लिए तकनीकी विशेषज्ञों की टीम मंथन कर रही है। भव्य राम मंदिर एक हजार वर्ष तक अक्षुण्ण बना रहे यह कार्य बिना मजबूत नींव के संभव नहीं है, इसलिए राम मंदिर की नींव ऐसी हो जो भूकम्प रोधी व दूसरी आपदाओं से सैकड़ों वर्ष तक सुरक्षित रहे।
श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चम्पतराय ने बताया कि मंदिर के वास्तु का दायित्व अहमदाबाद के चंद्रकान्त सोमपुरा पर है। वे 1986 से जन्मभूमि मंदिर निर्माण की देखभाल कर रहे हैं। मंदिर निर्माण का जिम्मा लार्सन एंड टुब्रो कम्पनी को दिया गया है। राम मंदिर निर्माण का कार्य सलाहकार के रूप में टाटा कंसल्टेंसी इंजीनियर को दी गई है। उन्होंने बताया कि यह पूरी जिम्मेदारी से मंदिर का निर्माण करवाएंगे।
सम्पूर्ण मंदिर पत्थरों से बनेगा और तीन मंजिला होगा। उन्होंने बताया कि प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई बीस फीट होगी और मंदिर की लम्बाई 360 फिट, चौड़ाई 235 फिट होगी। उन्होंने बताया कि भूतल से 16.5 फिट ऊंचा होगा। मंदिर का फर्श भूतल से गर्भगृह के शिखर की ऊंचाई 161 फिट होगी। धरती के नीचे 200 फिट गहराई तक मृदा परीक्षण व भविष्य के लिये संभावित भूकम्प के प्रभाव का अध्ययन किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि जमीन के नीचे दो सौ फिट तक भुरभुरी बालू पाई गई है। गर्भगृह के पश्चिम में कुछ दूरी पर सरयू नदी का प्रवाह है। इस भौगोलिक परिस्थितियों में एक हजार वर्षों के आयु वाले पत्थरों के मंदिर का भार सहन कर सकने वाली मजबूत और टिकाऊ नींव की ड्राइंग पर आईआईटी मुंबई, आईआईटी दिल्ली, आईआईटी चेन्नई, आईआईटी गोवाहटी व केन्द्रीय भवन अनुसंधान संस्थान रुडक़ी के इंजीनियर आपस में परामर्श करने के बाद ही नींव का प्रारूप तैयार कर निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा।
ट्रस्ट के महामंत्री ने बताया रामजन्मभूमि मंदिर की ऐतिहासिक सच्चाई अवगत कराने के लिए देश के प्रत्येक राज्य के कोने-कोने में घर-घर जाकर सम्पर्क किया जाएगा। उन्होंने बताया कि अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, अंडमान निकोबार, रणकच्छ, त्रिपुरा में कराए ऐतिहासिक सच्चाई से रूबरू, लाखों कार्यकर्ता गांव व मोहल्लों में जाएंगे तो स्वेच्छा से कुछ न कुछ लोग करेंगे समर्पण।
उन्होंने बताया कि पारदर्शिता बनाए रखने के लिए राम मंदिर निर्माण के लिए दस रुपए व एक हजार रुपए के कूपन व रसीद बनाए गए हैं जो करोड़ों घरों में भगवान के मंदिर का चित्र पहुंचाएंगी, जिसका जनसम्पर्क कार्य मकर संक्रान्ति अर्थात् खिचड़ी से प्रारम्भ होगा। उन्होंने बताया कि लाखों रामभक्त इस ऐतिहासिक कार्य के लिए अपना पूर्ण समय समर्पित करेंगे।