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election campaign gets speed after Gandhi-Modi public meeting in Rajasthan-राजस्थान में गांधी-मोदी के दौरे के बाद चुनाव प्रचार ने जोर पकड़ा - Sabguru News
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राजस्थान में गांधी-मोदी के दौरे के बाद चुनाव प्रचार ने जोर पकड़ा

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राजस्थान में गांधी-मोदी के दौरे के बाद चुनाव प्रचार ने जोर पकड़ा

जयपुर। राजस्थान में लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के दौरों के बाद चुनाव प्रचार ने जोर पकड़ लिया है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जोधपुर, उदयपुर और बाड़मेर में सभाएं करके न केवल कांग्रेस को उसकी कार्यशैली को लेकर कटघरे में खड़ा किया बल्कि राष्ट्रवाद, आतंकवाद, सेना और परमाणु बम की बात कहकर दावा किया कि ये सभी लोकसभा चुनाव के मुद्दे होने चाहिए।

मोदी के दौरे के बाद गांधी ने भी डूंगरपुर में जनसभा को सम्बोधित किया, लेकिन मोदी के सवालों का जवाब देने के बजाए रोजगार और गरीबों को प्रति महीने छह हजार रुपए देने की बात कहकर मतदाताओं को लुभाने का प्रयास किया।

गांधी ने चौकीदार को लेकर पहले जो आक्रामक नीति अपनाई थी, वह इस बार दिखाई नहीं दी तथा पूरे भाषण में वैसा जोशो खरोश भी नहीं दिखा पाए। जनसभा में भीड़ जरूर थी, लेकिन उनमें उत्साह ज्यादा दिखाई नहीं दिया।

मोदी ने प्रचार का रुख ही मोड़ दिया और जनता से प्रधानमंत्री पद का विकल्प पूछकर यह साबित करने का प्रयास किया कि उनके अलावा मैदान में दूसरा कोई नहीं है। उन्होंने कांग्रेस पर आतंकवाद, कश्मीर और सेना को लेकर कई टिप्पणियां कीं तथा बताया कि उनकी सरकार ने किस तरह पिछली गलतियों को सुधारकर राष्ट्र को नई राह दिखाई है।

भाजपा उम्मीदवारों के प्रति जनता के नजरिये की परवाह किये बिना मोदी ने यह कहकर उम्मीदवारों की नाराजगी से ध्यान हटा दिया कि कमल के निशान पर दबाया गया बटन मुझे ही मिलेगा। मोदी के अलावा गृहमंत्री राजनाथ सिंह सहित छोटे मोटे नेताओं ने प्रचार में कदम रखा लेकिन उनका ज्यादा प्रभाव दिखाई नहीं दे रहा।

गांधी के प्रचार में कूदने से पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने सभी 25 सीटों पर सभाएं करके माहौल को कांग्रेस के पक्ष में कर दिया था तथा अब भी ये दोनों नेता प्रधानमंत्री की कार्यशैली से लेकर नोटबंदी, जीएसटी सहित कई मुद्दों को लेकर भाजपा को कटघरे में खड़ा करने का प्रयास कर रहे हैं।

चुनाव प्रचार में कई सीटों पर जातिगत समीकरणों का ध्यान भी रखा जा रहा है, लेकिन सांसदों की आदर्श ग्राम योजना सहित उनके कामकाज को लेकर सभाओं में ज्यादा सवाल नहीं उठाये जा रहे हैं। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार होने के कारण संसाधन और भीड़ जुटाने में कोई ज्यादा समस्या नहीं दिख रही, लेकिन मतदाता कांग्रेस के प्रभाव में कितने आते हैं, यह तो समय ही बताएगा।

किसानों का कर्ज माफ करके कांग्रेस चुनाव में स्थानीय मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रित करना चाहती है, लेकिन मोदी ने राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दे उठाकर इसे निष्प्रभावी करने का प्रयास किया। कांग्रेस बेरोजगारी, महंगाई को लेकर जनता को हो रही परेशानियों को भी जोरशोर से मुद्दा बनाकर प्रचार का रुख मोड़ने का प्रयास कर रही है।

इसके अलावा राज्य सरकार के मंत्रियों को लोकसभा उम्मीदवार जिताने के लिए पूरी ताकत लगाने के निर्देश दिए हैं। विधायक भी मतदाताओं को कांग्रेस के पक्ष में गोलबंद करने का प्रयास कर रहे हैं।

भाजपा के खिलाफ विधानसभा चुनाव में जितनी नाराजगी दिखाई दे रही थी, वह अब नहीं है तथा मोदी से ‘वैर नहीं वसुंधरा तेरी खैर’ नहीं जैसे नारे अब मोदी का समर्थन बढ़ा रहे हैं। राजपूत समाज की नाराजगी भी खुलकर सामने नहीं आ रही तथा गुर्जर नेताओं के भाजपा का दामन थामने से भी भाजपा की हवा मजबूत हुई है।