नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने लोक जनशक्ति पार्टी के दोनों गुटों को अलग-अलग पार्टी के तौर पर मंजूरी देते हुए पुराना नाम और चुनाव चिह्न खत्म कर दिया है।
मंगलवार को आयोग ने बड़ा फैसला लेते हुए सांसद चिराग पासवान के नेतृत्व वाले गुट को लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) जबकि उनके चाचा और केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस को राष्ट्रीय लोकजनशक्ति पार्टी का नाम दिया है।
आयोग की ओर से जारी आधिकारिक पत्र में बताया गया है कि चुनाव चिह्न के तौर पर पासवान की पार्टी को ‘हेलीकॉप्टर’ आवंटित किया गया है वहीं पारस की पार्टी को सिलाई मशीन चुनाव चिह्न प्रदान किया गया है।
पिछले हफ्ते निर्वाचन आयोग ने लोजपा के नाम और निशान पर दोनों गुटों के दावों और विवाद पर उनका पक्ष सुना था। आयोग ने लोजपा का नाम और बंगले के चुनाव चिह्न को जब्त कर दोनों धड़ों को अपनी-अपनी पसंद और प्राथमिकता बताने को कहा था। दोनों ने सोमवार को अपना जवाब दाखिल किया। इसके बाद आयोग ने दोनों गुटों को पार्टी का नाम और चिह्न प्रदान किया।
उल्लेखनीय है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री और लोजपा के संस्थापक रामविलास पासवान के निधन के बाद से ही उनके पुत्र चिराग पासवान और भाई पारस के बीच मतभेद उभर आए थे। पारस के गुट ने पासवान को राष्ट्रीय अध्यक्ष और संसदीय दल के नेता के पद से हटा दिया था।
पासवान को छोड़कर लोजपा के बाकी सांसद उनके चाचा पारस के साथ चले गए थे और पासवान अकेले पड़ गए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंत्रिमंडल विस्तार में पारस को कैबिनेट मंत्री नियुक्त किया था। दोनों गुट पार्टी पर अपना-अपना दावा कर रहे थे। यह लड़ाई चुनाव आयोग तक पहुंची थी, आयोग ने अब यह फैसला दिया है।