नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव की खबरें लीक होने की घटना की जांच के लिए मंगलवार को एक समिति गठित कर दी है और इस संबंध में मीडिया तथा लोगों से इस बारे में जानकारी मांगी है।
आयोग ने भारतीय जनता पार्टी की आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय द्वारा चुनाव आयोग की घोषणा से पहले सोशल मीडिया पर चुनाव की तिथि को ट्वीट करने की घटना के कुछ ही घंटे बाद कार्रवाई करते हुए एक जांच समिति घटित कर दी। समिति इस जांच की रिपोर्ट सात दिन के भीतर आयोग को पेश कर देगी।
मंगलवार शाम आयोग द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार मालवीय ने आयोग की घोषणा से कुछ मिनट पहले ही ट्वीट कर जानकारी दी कि कर्नाटक के चुनाव 12 मई को होंगे और मतों की गिनती 18 मई को होगी। उन्होंने कुछ देर के बाद यह भी ट्वीट किया कि उन्हें यह जानकारी टाइम्स नाउ चैनल से मिली है। बाद में यह सफाई दी गई कि मतगणणा 15 मई को होगी।
विज्ञप्ति के अनुसार आयोग ने तत्काल निर्देश दिया कि मामले की जांच की जाए और इस सम्बन्ध में आवश्यक कदम उठाए जाएं। आयोग ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों की एक जांच समिति गठित कर दी है और सात दिन के भीतर रिपोर्ट पेश करने को कहा है। आयोग भविष्य में इस तरह की खबर लीक होने के लिए क़दम उठाने का सुझाव देगा।
गौरतलब है कि मुख्य चुनाव आयुक्त ने जब आज निर्वाचन आयोग के दफ्तर में सुबह 11 बजे आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में कर्नाटक चुनाव की जानकारी देनी शुरू की तो तिथियों की घोषणा से पहले खबरें लीक हो गई।
इससे पहले चुनाव आयोग ने कहा कर्नाटक विधानसभा चुनाव की तिथियों की खबर लीक होने के मामले की जांच करेगा और इस संबंध में दोषी व्यक्तियों के खिलाफ सख्त से सख्त कानूनी और प्रशासनिक कार्रवाई की जाएगी।
मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने यहां पत्रकारों के सवाल के जवाब में यह घोषणा की। रावत जब 11 बजे कर्नाटक विधानसभा चुनाव की घोषणा करने के लिए पत्रकारों के सामने आए तो उन्होंने पहले इस चुनाव के बारे में आरंभिक जानकारियां दीं।
पत्रकार सभागार में चुनाव के तारीखों की घोषणा होने का अभी इंतजार कर ही रहे थे कि उनके मोबाइलों पर सोशल मीडिया में चुनाव की तिथियां आने लगी। तब कुछ पत्रकारों ने प्रेस कांफ्रेस के बीच ही रावत से यह सवाल किया कि अभी आपने चुनाव के तारीखों की घोषणा भी नहीं की तो यह खबर कैसी लीक हो गई। भारतीय जनता पार्टी का आईटी सेल कैसे इन तिथियों की जानकारी सोशल मीडिया पर दे रहा है।
तब रावत ने कहा कि वह भी इस बात का पता लगाएंगे कि सोशल मीडिया पर चुनाव की जो तारीखें बताई जा रही है क्या वह वही तिथियां है जिसकी वह अभी घोषणा करने वाले हैं, इसके बाद ही इस मामले में कोई कार्रवाई की जाएगी।
थोड़ी देर बाद रावत ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव की अधिसूचना की तारीख 17 अप्रेल बताई और मतदान की तिथि 12 मई बताई। तब सभी पत्रकारों ने एक स्वर में कहा कि चुनाव आयोग के इतिहास में पहली बार हुआ है कि आयोग की घोषणा से पहले ही चुनाव की तारीखें लीक हो गई। यह एक गंभीर मामला है। क्या आयोग इस मामले में कोई कार्रवाई करेगा।
रावत ने फिर कहा कि पहले तथ्यों को सामने आने दीजिए इसके बाद वह मामले की जांच कराएंगे और जो भी कानूनी तथा प्रशासनिक कार्रवाई संभव होगी वह कठोर से कठोर कदम उठाकर कार्रवाई करेंगे।
पत्रकारों ने रावत से यह भी जानना चाहा कि अब चुनाव की तारीखें पहले लीक हो गई हैं तो क्या चुनाव आयोग इन्हें बदलेगा, इस बारे में रावत ने कोई सकारात्मक जवाब नहीं दिया।
यह कहे जाने पर कि पिछले दिनों यह खबरें आई हैं कि राजनीतिक दलों ने फेसबुक से डाटा लीक कर इसका इस्तेमाल चुनाव में मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश की है, रावत ने कहा कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव में सोशल मीडिया के किसी भी गलत इस्तेमाल की निगरानी चुनाव आयोग करेगा।
चुनाव आयोग इस बात का पुख्ता इंतजाम करेगा कि चुनाव में सोशल मीडिया का किसी तरह से दुरुपयोग न हो और उसके जरिये दुर्भावनापूर्ण प्रचार न हो। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने सोशल मीडिया हब बना रखा है जहां हर तरह की सूचनाएं दी जाती हैं और जानकारियां प्राप्त की जाती हैं। सोशल मीडिया आज की सच्चाई बन चुका है और चुनाव आयोग ने इसलिए अपने को इससे जोड़ रखा है।
चुनाव की खबरें लीक होने से प्रेस कांफ्रेंस में सनसनी सी फैल गई और सारे पत्रकार इस बात पर गहरा आश्चर्य करने लगे कि आखिर चुनाव आयोग की घोषणा से पहले यह खबर कैसे लीक हो गई। इसके बाद चुनाव आयोग के अधिकारी इस संबंध में कुछ विशेष बताने से परहेज करने लगे।
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