जयपुर। राजस्थान विघानसभ चुनाव में एक बेटा अपने बाप के अपमान का बदला लेने तथा एक मां बेटे के अपमान का बदला लेने और ससुर पार्टी से बगावत करने वाली बहु को सबक सिखाने की कोशिश में लगा हुआ है।
झालरापाटन से मुख्यमंत्री वंसुधरा राजे के सामने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे मानवेन्द्र सिंह की असली लड़ाई पिछले लोकसभा चुनाव में पिता जसवंत सिंह को टिकट नहीं देकर अपमानित करने की है।
सिंह ने अपने पिता के अपमान का बदला लेने के लिए पार्टी में बगावत शुरू की तथा बाद में कांग्रेस का दामन थाम लिया। अपने पिता के अपमान के पीछे वह मुख्यमंत्री राजे को भी जिम्मेदारी मानते हैं।
बाड़मेर जिले के रहने वाले सिंह ने अपने क्षेत्र से चुनाव लड़ने के बजाय अपने पिता के अपमान का बदला लेने के लिये झालरापाटन से कांग्रेस के उम्मीदवार बने हैं।
कांग्रेस की वरिष्ठ नेता एवं उप मंख्यमंत्री तथा राज्यपाल रही कमला भी अपने बेटे अलोक को शाहपुरा से टिकट नहीं देने पर अपमानित महसूस कर रही। कई कांग्रेसी नेताओं के बेटे बेटियों को टिकट देने के बावजूद वह अपने बेटे को टिकट दिलाने से वंचित रह गई।
कमला ने शाहपुरा विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे अपने बेटे अलोक के पक्ष में चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है कांग्रेस ने यहां से मनीष यादव को मैदान में उतारा है जबकि भाजपा के उम्मीदवार विधानसभा उपाध्यक्ष राव राजेन्द्र सिंह है।
उधर, भाजपा की टिकट नहीं मिलने पर विद्रोही उम्मीदवार के रूप में सागवाड़ा से चुनाव लड़ रही अनीता कटारा के ससुर कनकमल कटारा को पार्टी से बगावत रास नहीं आई तथा वह बहु के खिलाफ प्रचार में जुट गए। भाजपा ने यहां से शंकरलाल को चुनाव मैदान में उतारा है जिसके पक्ष में कटारिया खुलकर आ गए है।
बीकानेर के कोलायत में पूर्व मंत्री देवी सिंह अपनी बहू पूनम कंवर को जिताने में जुटे हुए हैं। भाजपा ने इस बार भाटी की बहू को उम्मीदवार बनाया है। भाटी पिछली बार चुनाव हार गए थे।
बीकानेर में ही साले और बहनोई के बीच रोचक मुकाबला है भाजपा विधायक गोपाल जोशी के सामने उनके साले बीडी कल्ला चुनाव लड़ रहे है। कल्ला पिछला चुनाव अपने बहनोई से हार चुके है। कल्ला को इस चुनाव में कांग्रेस के विद्रोही उम्मीदवार गोपाल गहलोत से भी मुकाबला करना पड़ रहा है।