आशावादी इंसान दुख सुख, खुशी-गमी के दायरों में रहते हुए अपने आप को स्वस्थ रखते हैं। जीवन का भरपूर आनन्द उठाने के लिए कुछ समस्याओं का सामना तो करना ही पड़ता है। निराशावादी इसे अलग तरीके से सोचते हैं। थोड़े से दु:ख गम आने पर वे महसूस करते हैं कि सारे दु:ख और गम मेरे लिए ही हैं। इस प्रकार के व्यक्ति अप्रसन्न और खिन्न रहने पर अक्सर बीमार पड़ जाते हैं।
अच्छी भावनाओं के होते मन प्रफुल्लित रहता है, बुरी भावनाओं के होते हुए मन उदास रहता है। अपने स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए भावनाओं पर नियत्रंण रखें। दूसरों से नाराज होना, उन पर गुस्सा करना, ईर्ष्या करना, दूसरों की गलतियां चुनते रहना, मन की बात मन में रखकर कुढ़ते रहना, दूसरों की निंदा करना, बुराई करना और अपनी आलोचना सुनकर तिलमिलाना, ये सब बातें हमारे स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालती हैं।
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कभी कभी किसी बात पर क्रोध आए तो घर से बाहर टहलने चले जाना चाहिए या फिर अपने को किसी काम में व्यस्त कर लें। थोड़े समय बाद क्रोध दूर हो जायेगा। कभी परिवार में या मित्रों से किसी बात पर मन-मुटाव या गलतफहमी हो जाये तो खुलकर बात करने से मन हल्का हो जाता है।
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