नयी दिल्ली । इंग्लैंड टीम को वनडे विश्वकप-2019 खिताब की सबसे बड़ी दावेदार के तौर पर देखा जा रहा है, लेकिन यह भी सच है कि क्रिकेट के खेल के जन्मदाता माने जाने वाले इंग्लैंड पर इस आईसीसी टूर्नामेंट को पहली बार जीतने और घरेलू परिस्थितियों का फायदा उठा इतिहास रचने का भी सबसे अधिक दबाव है।
इंग्लैंड एंड वेल्स की मेजबानी में 30 मई से आईसीसी विश्वकप शुरू होने जा रहा है और यहां की सबसे अधिक चुनौतीपूर्ण मानी जाने वाली पिचों पर घरेलू टीम को सबसे अधिक फायदा मिलता दिख रहा है। वर्ष 2015 के आईसीसी टूर्नामेंट में पहले ही राउंड में बाहर हो गयी इंग्लैंड की टीम इस बार दुनिया की नंबर एक विश्वकप टीम के तौर पर उतर रही है, ऐसे में उसकी दावेदारी और मजबूत मानी जा रही है।
इंग्लैंड की टीम वर्ष 1979, 1987 और 1992 में फाइनलिस्ट रही थी लेकिन विश्वकप के 44 वर्षाें के इतिहास में उसने कभी भी खिताब नहीं जीता। वह वर्ष 1975 और 1983 में सेमीफाइनलिस्ट रही थी जबकि 2008 में सुपर-8 चरण तक ही पहुंची। वर्ष 2011 में क्वार्टरफाइनल तक पहुंची इंग्लैंड के लिये हालांकि 2015 का सत्र बेहद निराशाजनक रहा जहां उसे बंगलादेश के हाथों हारकर पहले ही राउंड में बाहर होना पड़ा था।
मेजबान टीम से हालांकि 2019 के सत्र में बड़े उलटफेर की उम्मीद है जो कई स्टार खिलाड़ियों के साथ उतर रही है। टीम में कप्तान इयोन मोर्गन, जोस बटलर, बेन स्टोक्स, जो रूट बल्लेबाज़ी क्रम के धुरंधर खिलाड़ी हैं। अपने करियर का चौथा विश्वकप खेल रहे अनुभवी मोर्गन के कंधों पर टीम को खिताब तक ले जाने की जिम्मेदारी है। मोर्गन ने पिछले 10 वनडे मैचों में टीम के लिये 113.20 के स्ट्राइक रेट से 420 रन बनाये हैं और अहम स्कोरर हैं।
इंग्लैंड के बल्लेबाज़ों में रूट को भी सबसे धाकड़ खिलाड़ी माना जाता है जिनका 2015 विश्वकप प्रदर्शन के लिहाज़ से संतोषजनक रहा था। उन्होंने इस दौरान 40.40 के औसत से 202 रन बनाये थे जिसमें श्रीलंका के खिलाफ उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर 121 रन रहा था।
अनुभवी खिलाड़ियों में टीम के पास मोइन अली भी हैं। ऑलराउंडर मोइन का हालांकि 2015 विश्वकप में प्रदर्शन खराब रहा था जहां पांच मैचों में वह चार ही विकेट ले सके थे, लेकिन उन्होंने बल्ले से प्रभावित किया था। हालांकि विकेटकीपर बटलर का पिछले विश्वकप टूर्नामेंट में प्रदर्शन बेहतरीन था जिनसे एक बार फिर इसी को दोहराने की उम्मीद रहेगी। बटलर ने पिछले विश्वकप के 6 मैचों में 141 रन बनाये थे।
इंग्लैंड ने अनुभव के साथ युवा प्रतिभाओं पर भी भरोसा जताया है जिसमें जॉनी बेयरस्टो, आदिल राशिद, टॉम करेन जैसे खिलाड़ी पहली बार विश्वकप का अनुभव चखेंगे। बेयरस्टो का वर्ष 2019 में अब तक प्रदर्शन बेहतरीन रहा है जहां पिछले नौ मैचों में उन्होंने 312 रन बनाये हैं। वहीं गेंदबाज़ों में लेग स्पिनर आदिल राशिद अहम खिलाड़ी हैं जिन्होंने अब तक 51 वनडे मैचों में 81 विकेट निकाले हैं और अच्छी फार्म में हैं।
टीम के पास गेंदबाज़ी ऑलराउंडर लियाम प्लंकेट भी हैं जिन्होंने अपना पहला विश्वकप 2007 में खेला था। प्लंकेट ने पिछले तीन वर्षाें में 38 वनडे मैचों में 64 विकेट निकाले हैं।
इंग्लैंड ने विश्वकप से पहले अपनी ज़मीन पर पाकिस्तान के खिलाफ पांच मैचों की सीरीज़ को 4-0 से क्लीन स्वीप किया था। सीरीज़ का एक मैच बारिश से रद्द रहा था। यह सीरीज़ बड़े स्कोर वाली रही थी और इंग्लैंड ने 350 से भी अधिक रनों का पीछा करते हुये जीत हासिल की। एक मैच में तो इंग्लैंड ने 373 रन का विशाल स्कोर तक बनाया था। इंग्लैंड के खिलाड़ी मौजूदा समय में अपनी पिचों के माहिर माने जा रहे हैं और यही बात उसे विश्वकप जीतने का प्रबल दावेदार बना रही है।
आस्ट्रेलिया के कप्तान आरोन फिंच और भारतीय कप्तान विराट कोहली ने कप्तानों की प्रेस कांफ्रेंस में इस बात को स्वीकार किया था कि इंग्लैंड अपनी पिचों पर खिताब का प्रबल दावेदार है। लेकिन इस इतिहास को रचने के लिये इंग्लैंड को अपनी पिचों की अग्नि परीक्षा से गुजरना होगा।