भारत भूमि जी की नदियों के आधार पर पहचानी जाती है क्या अब यह पहचान धुंधली होती जा रही है क्योंकि भारत की प्रमुख नदियां प्रदूषण के कारण अपवित्र हो चुकी है जिसका कारण अकसर गंदे जल के नदियों में प्रवाहित होने को माना जाता है पर यह जल नदियों में खुद प्रवाहित होता है पर इसको दूषित हम लोगो के द्वारा ही किया जाता है आखिर हम लोग ऐसा क्यों होने देते हैं सरकार के द्वारा अरबों रुपए नदियों को स्वच्छ बनाने के संदर्भ में खर्च किए जा चुके है पर फिर भी ये स्वच्छ नहीं हो पाती इसके कारण अनेक है।
जिनमें प्रमुख हैं धार्मिक महोत्सव के दौरान लाखो की संख्या मे लोगो का स्नना हेतु जाना और वहां गंदगी फैलाकर आना क्या इतनी जनसंख्या को सरकार द्वारा नियंत्रित नहीं किया जा ता ताकि नदियों मे इतना प्रदूषण न हो शहरी नालो और कारखानों का भी इसमें सबसे बड़ा हाथ है जिनपर काबू करना जैसे बाड़ को काबू में न कर पाना और तबाही होना है और ऐसा अक्सर होता भी है जब भयंकर बारिश होती है और शहरों की सड़के गंदे पानी से भर जाती है एवं नदियों का जलस्तर बढ़ जाता है।
सरकार के द्वारा इन नालो मे जाने वाले पानी को संयंत्रों के द्वारा केवल चालीस प्रतिशत तक ही फिल्टर किया जाता है जिसके कारण नदियों का जल स्वच्छ नहीं रहता है आखिर कब तक नदियां इसी तरह दूषित रहेगी क्या सरकार के पास कोई आधुनिक तकनीक नहीं है जिससे इन्हें दूषित होने से बचाया जा सके और ये अन्य देशों की तरह स्वच्छ हो सके ।
शुभम शर्मा (स्वतंत्र टिपपणीकार)