रक्षा का बन्धन | इस वर्ष 15 अगस्त को रक्षा बंधन का त्योहार आया है। स्वन्त्रता दिवस के साथ हम सब रक्षा बंधन मना रहे हैं। ज्योतिषियो के अनुसार इस बार रक्षा बंधन पर भद्रा नही है। इसलिए पूरे दिन राखी बांधने का क्रम चलेगा। जिससे इस पर्व का महत्व और बढ़ गया है । तो बहने अपनी थाल सजाएं उसमें रोली कुमकुम अक्षत पीली सरसों के बीज दीपक और राखी रखें। इसके बाद अपने भाई के तिलक लागाकर दाहिने हाथ की कलाई पर राखी बांधे। राखी बाँधने के बाद आरती उतारें। फिर भाई को मिठाई खिलायें। भाई बड़ा हो तो उनसे आशीर्वाद लें।
रक्षा बन्धन भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक त्योहार है जो श्रावण मास की पूर्णिमा को प्रतिवर्ष मनाया जाता है। सावन में मनाए जाने के कारण रक्षा बंधन के त्योहार को सावनी भी कहते हैं। रक्षाबंधन में राखी या रक्षा सूत्र का महत्व माना जाता है। राखी को बहन अपने भाई की कलाई में बांधती है मुँह मीठा कराती है। भाई बहन को नए वस्त्र भेंट कर उसकी रक्षा करने का वचन देता है। राखी कच्चे सूत,रेशमी धागे,सोने या चाँदी जैसी महँगी भी बाज़ारो में मिलती है।
राखी के बाज़ार सजाए जाते हैं। जहाँ बहनें राखियाँ खरीदती हैं। रक्षा बंधन में रक्षा का तात्पर्य सुरक्षा है और बन्धन का अर्थ बाध्य है। इस दिन बहने अपने भाई के लिए उसकी उन्नति प्रगति तरक्की के लिए प्रार्थना करती है।
इस दिन ब्राह्मणों,गुरुओं के रक्षा सूत्र बांधने की परंपरा है। पुरोहित राजा के रक्षा सूत्र बांधते हैं। आजकल नेताओं के राखी बांधने का चलन है प्राइवेट स्कूलों के लड़के बड़े नेताओं के घर राखी बांधने जाते हैं।
उपहार व नये वस्त्र इस दिन लोग जरूर खरीदते हैं। भाई बहन के प्यार को मजबूत बनाता है राखी का ये त्यौहार। इस दिन मिठाई उपहार राखी दी जाती है। घर परिवार में प्रेम मिलाप बढ़ता है। राखी सलूनो श्रावणी सब रक्षा बंधन के नाम है।
रक्षा बंधन त्योहार मनाने के पीछे मुख्य उद्देश्य है देश मे इंसान इंसान के बीच मानवता की भावना भातृत्व की भावना सहयोग की भावना का विकास हो। आपसी प्रेम बढ़े। रिश्तों में मिठास घुले।
कई लोग पेड़ो को राखी बांधकर प्रकृति संरक्षण का संदेश देते हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता इस दिन भंगवा रंग की राखी एक दूसरे को बांधते हैं। रक्षा बंधन का सम्बंध राजा बलि से है। सभी धार्मिक अनुष्ठानों में भी रक्षा सूत्र बांधा जाता है।
“येन बद्धहो बलिराजा दानवेन्द्रो महाबल। तेन त्वामापि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।”
यानी जिस रक्षा सूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा बलि को बांधा गया था।उसी सूत्र से मैं तुझे बांधता हूँ। हे राखी तुम अडिग रहना अपने संकल्प से कभो विचलित न होना।
आज़ादी की जंग में जन जागरण व एकता स्थापित करने के लिए देश भर में राखी का सहारा लिया रवींद्रनाथ ठाकुर ने बंग बंग का विरोध करते समय राजेश बन्धन त्योहार को बंगाल निवासियों के पारस्परिक भाईचारे एकता का प्रतीक बनाकर राजनीतिक उपयोग आरम्भ किया था।
राखी का त्योहार कब शरू हुआ इसका वर्णन भविष्य पुराण में मिलता है। देव दानव में जब युद्ध हुआ तब इंद्राणी ने अपने पति इंद्र को रक्षा सूत्र बांधा था।तो इस युद्ध मे राजा इंद्र जीते थे लोगो का विश्वास है कि राजा इंद्र रक्षा बंधन के धागे से ये विजय प्राप्त किये थे। उस दिन भी श्रावण की पूर्णिमा थी।तभी से रक्षा बंधन चल रहा है।मेवाड़ की महारानी कर्मावती ने दिल्ली के बादशाह हुमायूं के राखी बांधी थी हुमायु ने रानी की लाज रखी। सिकन्दर की पत्नी ने पुरूवास को राखी बांधी थी। पुरूवास सिकन्दर का दुश्मन था।और युद्ध मे अपने भाई को न मारने का वचन माँगा अपने भाई सिकन्दर की रक्षा की थी।
राखी के रेशमी धागे में वह शक्ति है जिससे हर मुसीबत से बचा जा सकता है ये कृष्ण ने युधिस्ठिर को कहा था। संकटों को पार करने के लिए पांडवों तुम राखी का त्योहार मनाओ। द्रोपदी ने कृष्ण को राखी बांधी। कुंती ने अभिमन्यु को राखी बांधी।
फिल्मजगत में राखी पर कई फिल्में बनाई गई। 1965 में बनी काजल फ़िल्म का गण मेरे भैया मेरे चन्दा आज भी हर जुबां पर है। बेईमान फ़िल्म 1972 में आई जिसका गीत ये राखी बन्धन है ऐसा ।1959 में छोटी बहन फ़िल्म का गीत भईया मेरे राखी के बंधन को निभाना बहुत पसंद किया गया।1972 में राखी ओर हथकड़ी फ़िल्म हिट हुई। आइये इस राखी को खास बनाएं। संकल्प करें किसी बेटियों बहनों की सुरक्षा का।
राजेश कुमार शर्मा”पुरोहित”
कवि,साहित्यकार