नयी दिल्ली । उद्योग संगठन भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) ने तेल की कीमतों और वैश्विक व्यापार युद्ध को भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए प्रमुख चुनौती बताते हुये मंगलवार को कहा कि चालू वित्त वर्ष में आर्थिक विकास दर 7.4 प्रतिशत और पहली तिमाही में इसके 7.1 फीसदी रहने का अनुमान है।
फिक्की के आर्थिक परिदृश्य सर्वेक्षण में शामिल अर्थशास्त्रियों ने ये अनुमान जताये हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2018-19 में आर्थिक विकास दर न्यूनतम 7.1 प्रतिशत और अधिकतम 7.5 प्रतिशत के बीच रह सकती है। इसमें चालू वित्त वर्ष में कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 3.0 फीसदी रहने का अनुमान जताते हुये कहा गया है कि यह न्यूनतम 2.4 प्रतिशत तथा अधिकतम 4.3 प्रतिशत रह सकती है।
इसमें कहा गया है कि अनुकूल मानसून से कृषि को बल मिलेगा। जून और जुलाई महीने में मानसून के कमजोर पड़ने का उल्लेख करते हुये कहा गया है कि अगस्त और सितंबर में बरसात में तेजी आने का अनुमान जताया गया है।
फिक्की ने जुलाई 2018 में सर्वेक्षण किया था जिसमें उद्योग , बैंकिंग और वित्तीय सेवा क्षेत्र के अर्थशास्त्रियों ने भाग लिया था। अर्थशास्त्रियों ने वर्ष 2018-19 में उद्योग और सेवा क्षेत्र के क्रमश: 6.9 प्रतिशत और 8.3 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान जताया है।
सर्वेक्षण रिपोर्ट में चालू वित्त वर्ष की जून में समाप्त पहली तिमाही में विकास दर के 7.1 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया है। चालू महीने के अंत में सरकार पहली तिमाही के आर्थिक विकास के आकंड़े जारी करेगी। इसमें महंगाई का उल्लेख करते हुये कहा कि ताजे आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि तेल की कीमतों में तेज वृद्धि हो रही है। हालांकि अर्थशास्त्रियों ने महंगाई के नरम रहने की उम्मीद जतायी है।
इसमें थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई के चालू वित्त वर्ष में 4.8 प्रतिशत पर रहने का अनुमान लगाया गया है जो न्यूनतम 4.1 प्रतिशत और अधिकतम 5.0 प्रतिशत तक रह सकती है। इसी तरह से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित खुदरा महंगाई के भी चालू वित्त वर्ष में 4.8 प्रतिशत पर रहने की बात कही गयी है। इसमें न्यूनतम 3.0 प्रतिशत और अधिकतम 5.5 प्रतिशत तक जाने का अनुमान लगाया गया है।