इटावा | उत्तर प्रदेश में इटावा के जिला प्रशासन ने ग्रामीण आबादी को संक्रामक बीमारियों से बचाने के लिये विशुद्ध पेयजल मुहैया कराने के लिये कमर कसी है जिसके तहत हर गांव में आरओ संयंत्र स्थापित किया जायेगा।
अधिकृत सूत्रों के अनुसार शुद्ध पेयजल के लिये गांव गांव आरओ प्लांट लगाने की कार्ययोजना को मूर्त रूप देने का खाका तैयार कर लिया गया है जिसके स्वतंत्रता दिवस तक हर हाल मे पूरा हो जाने की उम्मीद है।
उन्होने बताया कि इटावा के मुख्य विकास अधिकारी राजा गणपति आर की पहल पर शुद्ध पानी के लिए गांव स्तर पर आरओ प्लांट लगवाए जाने की योजना बनाई गई है। पहले चरण में जिले के सभी ब्लाकों की पांच-पांच ग्राम पंचायतों में आरओ प्लांट लगवाए जाएंगे। इस तरह जिले के आठ ब्लाकों के कुल 40 ग्राम पंचायतों में आरओ प्लांट लग जाएंगे जिससे इन गांवों के लोगों को शुद्ध पानी मिलेगा। यह आरओ प्लांट पंचायत घर में लगवाए जाने की योजना है जिससे कमरा बनवाने के लिए अतिरिक्त खर्च नहीं करना पड़ेगा। ग्राम पंचायतों से यह भी कहा गया है कि वे इसे अपनी कार्य योजना में शामिल करें और निर्धारित मूल्य पर कहीं से भी खरीद लें।
मुख्य विकास अधिकारी ने बताया कि इस संबंध में ग्रामीण अभियंत्रण सेवा (आरईएस) से एस्टीमेट बनवाया गया है जिसके हिसाब से दो से ढाई लाख के बीच का खर्चा करके आरओ प्लांट लगाया जा सकता है। रकम की बचत के लिए पंचायतघर में ही इसे लगाने का सुझाव दिया गया है। हालांकि ग्राम पंचायतें स्वतंत्र हैं वे किसी अन्य स्थान पर कमरा बनवाकर भी आरओ प्लांट लगवा सकती हैं।
उन्होने बताया कि ग्राम पंचायतों से यह भी कहा गया है कि चूंकि इस पर लगभग दो लाख की रकम खर्च की जानी है, इसलिए टेंडर प्रक्रिया अपनाएं और टेंडर के बाद कामकाज शुरू करें । आरओ प्लांट लग जाने से जहां लोगों को शुद्ध पानी मिलेगा वहीं पंचायत इससे धन अर्जन भी कर सकती है। आरओ का पानी निर्धारित शुल्क पर गांव वालों को तथा बारात आदि में दिया जा सकता है। शुल्क निर्धारण में जिला प्रशासन का कोई दखल नहीं होगा।
गणपति ने बताया कि गांवों में आरओ प्लांट लगाए जाने की योजना को लेकर तेजी से काम किया जा रहा है। ग्राम पंचायतों से भी तेज गति से काम करने के लिए कहा गया है। प्रयास यह है कि 15 अगस्त तक चिन्हित किए गए गांवों में आरओ प्लांट लग जाए और गांव के लोगों को उसका लाभ भी मिलने लगे।
उन्होने बताया कि पानी की शुद्धता बेहद जरूरी है, आरओ के माध्यम से गांवों में भी शुद्ध पानी उपलब्ध कराया जा सकेगा और शुद्ध पानी न मिलने से होने वाली बीमारियों से भी बचा जा सकेगा। यह योजना गांवों के लिए काफी उपयोगी होगी। इसके साथ ही ग्राम पंचायतों को कुछ आय भी अर्जित होगी ।
जिले के चंबल नदी के आसपास के तकरीबन दो सौ गांवों के ग्रामीण अपना हलक तर करने के लिए चंबल नदी का वह पानी पीने को बाध्य हो गए हैं ,जहां जानवर अपनी प्यास बुझाते हैं और शरीर की गर्मी शांत करते हैं। किसी भी ग्रामीण को इससे मतलब नही है कि यह पानी साफ है या नही लेकिन उसको तो सिर्फ प्यास बुझाने से मतलब है ।
चंबल फाउंडेशन के संस्थापक शाह आलम का कहना है कि इटावा मे गांव वालो को साफ पानी मुहैया कराने की जिस तरह की मुहिम इटावा के सीडीओ ने शुरू की है, उससे यह निश्चित है कि एक ना एक दिन पूरे देश भर मे लागू होगी क्योंकि हर आदमी आज साफ पानी पीना चाहता है । हैंडपंप या फिर नदियो के पानी पीने से बीमारियो के होने की संभावनाए रहती है ।
डा.भीमराव अंबेडकर राजकीय सयुक्त चिकित्सालय के पूर्व सीएमएस डा.वी.एस.अग्निहोत्री का कहना है कि एक रिर्पाेट के मुताबिक हर आठ सेकेंड मे एक बच्चा पानी से संबधित बीमारी से मर जाता है । हर साल 50 लाख से अधिक लोग असुरक्षित पानी के पीने,अशुद घरेलू वातावरण और मलमूत्र का अनुचित ढंग से निपटान करने से जुडी बीमारियो से मर जाते है। स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने की सीडीओ की मुहिम काबिल ए तारीफ है। इससे संक्रामक बीमारियों से होने वाली मौतों की तादाद में कमी आनी निश्चित है।