मुंबई। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के नैतिक अधिकारी जस्टिस डीके जैन ने पूर्व कप्तान सौरभ गांगुली को हितों के टकराव का दोषी पाया है।
गांगली पर एक समय में दो पदों पर बने रहने का आरोप है। गांगुली आईपीएल की फ्रेंचाइजी दिल्ली कैपिटल्स की प्रशासक समिति में शामिल हैं और इसी के साथ वह बंगाल क्रिकेट संघ (सीएबी) के भी अध्यक्ष हैं। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के संविधान के नियम 38 (4) के मुताबिक कोई भी व्यक्ति एक ही समय पर दो पदों पर नहीं रह सकता।
नैतिक अधिकारी ने इस मामले में आदेश देते हुए कहा कि अगर नैतिक अधिकारी को इस बात के सुबूत मिलते हैं कि गांगुली का क्रिकेट प्रशासक समिति में होना बीसीसीआई के नियम का उल्लंघन हैं तो उन्हें इस पद से तुरंत इस्तीफा देना होगा जबकि आईपीएल फ्रेंचाइजी के साथ उनका अनुबंध मई 2019 में खत्म हुआ। इस हिसाब से यह हितों के टकराव का मामला साबित होता है।
उन्होंने कहा कि कानून का पालन नहीं करना किसी भी सूरत में जायज नहीं है और गांगुली को नियम 38 (2) की धारा के अनुसार इस बात की सूचना देनी चाहिए थी लेकिन यह नियम अगस्त 2018 के बाद से बना है इसलिए मुझे उन्हें इसके लिए संदेह का लाभ देना होगा क्योंकि हो सकता है कि गांगुली को इस बारे में पता नहीं हो कि उनका तीन पदों में एक साथ बने रहना हितों के टकराव का मामला है।
गांगुली ने हालांकि नैतिक अधिकारी को अपने लिखित जवाब में अपना बचाव करते हुए कहा कि दिल्ली कैपिटल्स के साथ उनका आधिकारिक अनुबंध नहीं है और वह वहां सिर्फ खिलाड़ियों के साथ अपना अनुभव साझा करते हैं ना कि वह टीम के बोर्ड या मैनेजमेंट से जुड़े हैं।