ब्रसेल्स। यूरोपीय आयोग ने निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा के उल्लंघन के मामले में अमरीकी कंपनी गूगल पर 4.3 यूरो (करीब 34 खरब रूपए) का जुर्माना लगाया है।
यूरोपीय आयोग का दावा है कि अमरीकी कंपनी गूगल ने एनड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम के जरिए खुद को सर्च इंजन के रूप में और ताकतवर बनाया। गूगल पर जुर्माना ठोंकते हुए यूरोपीय संघ की प्रतिस्पर्धा कमिश्नर मारग्रेथ वेस्टागेर ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि गूगल ने एनड्रॉएड का इस्तेमाल करके सर्च इंजन क्षेत्र में अपने प्रभाव को और मजबूत किया।
ऐसा करके उसने प्रतिस्पर्धियों को नई खोज करने या योग्यता के आधार पर प्रतिस्पर्धा करने का मौका नहीं दिया। उसने यूरोपीय ग्राहकों को अहम मोबाइल फोन बाजार की असरदार प्रतिस्पर्धा का लाभ नहीं पहुंचाया।
गूगल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुंदर पिचाई को मंगलवार को फैसले के बारे में पूर्व-जानकारी दी गई थी और उन्होंने जवाब में ब्लॉग किया है। उन्होंने लिखा कि तेजी से नवाचार, व्यापक पसंद और गिरती कीमतें मजबूत प्रतिस्पर्धा के क्लासिक हॉलमार्क हैं और एंड्रॉयड ने उन सभी को सक्षम किया है।
उन्होंने लिखा कि ताजा निर्णय एंड्रॉयड का समर्थन करने वाले व्यापार मॉडल को खारिज कर देता है, जिसने हर किसी के लिए अधिक विकल्प बनाया है, कम नहीं। हम आयोग के इस फैसले के खिलाफ अपील करेंगे।
जुर्माने की रकम गूगल की पेरेंट कंपनी अल्फाबेट की दो हफ्ते के राजस्व के बराबर है। अल्फाबेट को व्यापार प्रक्रिया में बदलाव करने के लिए 90 दिनों का समय दिया गया है और ऐसा नहीं रकने पर इसके औसत दैनिक कारोबार पर पांच प्रतिशत का पेनाल्टी लगाया जाएगा। गूगल ने यूरोपीय रेग्युलेटरों के फैसले के खिलाफ अपील करने का एलान किया है।
यूरोपीय आयोग के इस फैसले से अमरीका और यूरोप के बीच कारोबारी संबंध और अधिक तनावपूर्ण हो सकते हैं। यूरोपीय आयोग के प्रमुख ज्यां क्लोद युंकर को जुलाई के आखिर में अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मिलना है।
युंकर अमरीका जाकर यूरोपीय संघ की कारों के भविष्य को सुरक्षित बनाने की कोशिश करेंगे। व्यापार घाटे का हवाला दे रहे ट्रंप ने यूरोपीय संघ से अमरीका निर्यात की जाने वाली कारों पर ज्यादा शुल्क लगाने की धमकी दी है।
मारग्रेथ वेस्टागेर इससे पहले भी गूगल पर 2.4 अरब यूरो का जुर्माना लगा चुकी हैं। वह जुर्माना ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्मों के कीमतों की तुलना करने वाली सर्विस के चलते लगा था। गूगल ने इसके खिलाफ भी अपील की है। यूरोपीय आयोग ने अप्रेल 2015 में एनड्रॉयड की जांच शुरू की।
माइक्रोसॉफ्ट, नोकिया और ऑरेकल जैसी दिग्गज कंपनी के ट्रेड ग्रुप फेयरसर्च ने आयोग से गूगल की शिकायत की थी। शिकायत के मुताबिक गूगल एनड्रॉयड के जरिए अपने सर्च इंजन को बढ़ावा दे रहा है। उस वक्त यूरोप के 64 फीसदी स्मार्टफोन एनड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम से चल रहे थे। अब यह संख्या 74 फीसदी है।
जांच के दौरान आयोग को पता चला कि वाकई गूगल ने एनड्रॉयड के दबदबे का इस्तेमाल अपने फायदे के लिए किया। प्रतिस्पर्धी कंपनियों को एनड्रॉयड से नुकसान हुआ। आयोग ने कहा कि गूगल ने एनड्रॉयड बेस्ड स्मार्टफोन और टेबलेट बनाने वाले निर्माताओं से गूगल सर्च इंजन को डिफॉल्ट पर रखने को कहा। एनड्रॉयड डिवाइसों में पहले से इंस्टॉल क्रोम ब्राउजर भी मिला।
स्मार्टफोन और टेबलेट उद्योग पर नजर रखने वाली कंपनी गार्टनर के मुताबिक दुनिया भर में 85.9 फीसदी डिवाइस एनड्रॉयड बेस्ड हैं। एप्पल के आईओएस ऑपरेटिंग सिस्टम की हिस्सेदारी करीब 14 फीसदी है। वर्ष 2017 में दुनिया भर में 1.3 अरब एनड्रॉयड स्मार्टफोनों की बिक्री हुई।