नई दिल्ली। स्तन कैंसर रोगियों के लिए राहत भरी खबर है कि अब हर रोगी को विषैली कीमोथैरेपी से गुजरने की ज़रूरत नहीं होगी और केवल उन्हीं रोगियों को कीमोथैरेपी दी जाएगी जिन्हें इसकी वाकई में जरूरत होगी और उतनी ही मात्रा में, जितनी आवश्यकता है। भारत में इस पद्धति को स्वीकृति मिलने से हज़ारों स्तन कैंसर रोगियों को फायदा होगा।
कीमोथैरेपी को लेकर इस वर्ष जून में ब्रिटेन के एक पत्र में प्रकाशित अध्ययन रिपोर्ट के बाद भारत में हाल ही जारी वर्ष 2018 के कैंसर उपचार केे दिशानिर्देशों में आरंभिक अवस्था वाले स्तन कैंसर के रोगियों का ‘ऑन्को टाइप डीएक्स ब्रेस्ट रिकरेंस स्कोर टेस्ट’ किए जाने और उसके आधार पर ही कीमोथैरेपी देने अथवा नहीं देने का निर्णय करने का प्रावधान शामिल किया गया है।
छह देशों की स्तन कैंसर का उपचार करा रहीं 10 हजार 273 महिलाओं पर वर्षों तक किए गए अध्ययन टेलरैक्स के निष्कर्ष निकले हैं कि ओडीएक्सबीआरएस टेस्ट में 50 वर्ष से अधिक आयु वाली महिलाओं का स्काेर 0 से 25 के बीच है और 50 से कम अायु वाली महिलाओं का स्कोर 0 से 15 के बीच है तो उन्हें कीमोथैरेपी की जरूरत नहीं होती है। इस टेलरैक्स अध्ययन को अमरीका के नेशनल कैंसर इन्स्टीट्यूट ने मान्यता दी है।
मुंबई के टाटा मेमोरियल अस्पताल के एक अध्ययन पत्र के अनुसार भारत में महिलाअों में होने वाले कैंसर में स्तन कैंसर बहुत आम है। टेलरैक्स अध्ययन की सिफारिशों के भारत में मान्यता मिलने से इस रोग से पीड़ित 70 प्रतिशत महिलाओं को कीमाेथैरेपी से गुज़रने की मजबूरी से निजात मिल सकेगी। क्योंकि अध्ययन में पता चला है कि स्तन कैंसर से पीड़ित करीब 30 प्रतिशत महिलाओं को ही कीमोथैरेपी का लाभ होता है।
टेलरैक्स अध्ययन से पता चला है कि कम जोखिम वाले रोगियों को कीमोथैरेपी से मुक्ति मिल सकती है जबकि अधिक जोखिम वाले रोगियों को ज़रूरत के हिसाब से उतनी ही सीमित मात्रा में दी जा सकेगी। इस प्रावधान से हर कैंसर रोगी को कीमोथैरेपी की अनावश्यक मात्रा में पहुंचने से होने वाले दुष्प्रभावों और पीड़ा से बचाया जा सकेगा।
टेलरैक्स अध्ययन में स्तन कैंसर के प्रसार से जुड़े 21 जीनों की प्रतिक्रियाओं का बारीकी से अध्ययन किया गया। यह पाया गया कि ओडीएक्सबीआरएस टेस्ट में 0 से 10 के बीच स्काेर वाले रोगियों, जिनका एंडोक्राइन थैरेपी से उपचार किया गया है, उन्हें कीमोथैरेपी देने का कोई लाभ नहीं है। जबकि 26 से 100 स्काेर वाली महिलाओं को कीमोथैरेपी प्लस एंडोक्राइन थैरेपी से उपचार देने पर कीमोथैरेपी का 20 प्रतिशत अधिक लाभ दिखायी दिया।
अध्ययन में शामिल 10 हजार 273 महिलाओं में 6711 महिलाएं मध्यम जोखिम वाली यानी 11 से 25 स्काेर वाली थीं जिनका एंडोक्राइन थैरेपी से कीमोथैरेपी के साथ अथवा बिना कीमोथैरेपी के साथ उपचार किया गया और प्रत्येक रोगी पर औसतन नौ वर्ष तक निगरानी की गयी।
अखिल भारतीय अायुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में सर्जिकल ऑन्कोलॉजी के डा. एस वी एस देव ने इस पहल का स्वागत करते हुए कहा कि इससे देश में कैंसर उपचार का तरीका ही बदल जाएगा और व्यक्तिगत स्तर पर रोग की अवस्था के आधार पर चिकित्सा करने के युग का सूत्रपात होगा।
पद्म भूषण से सम्मानित जाने माने कैंसर विशेषज्ञ डाॅ. सुरेश आडवाणी ने कहा कि इस अध्ययन ने हमें यह आज़ादी कि हम चुन सकते हैं कि किस रोगी को कीमोथैरेपी की जरूरत नहीं है और किसे है।
टाटा मेमोरियल अस्पताल के अनुसार इससे हजारों स्तन कैंसर पीड़ित महिलाअों को विषैली कीमोथैरेपी उपचार से बचने में मदद मिलेगी और यह उनके लिए बहुत राहत की बात होगी। चिकित्सकों का यह भी मानना है कि स्तन कैंसर के उपचार में कीमोथैरेपी के सही उपयोग का पता चलने के बाद अब अन्य प्रकार के कैंसर के उपचार में भी कीमोथैरेपी के प्रयोग की सीमा तय करने का रास्ता खुलेगा।