नईदिल्ली। दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी यानी जेएनयू कुछ समय से देश की राजनीति का अखाड़ा बनता जा रहा है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि पिछले कुछ समय से जेएनयू को ही क्यों निशाना बनाया जा रहा है ? छोटी हो चाहे बड़ी हिंसा (बवाल) हो यह एक ऐसा मुद्दा बन गया है जिसमें सभी पार्टियों के नेता झुलस जाते हैं। लगभग एक माह पहले जेएनयू के छात्र हॉस्टल में फीस बढ़ोतरी और अन्य मामलों को लेकर सड़कों पर लगातार कई दिनों तक प्रदर्शन करते रहे थे। छात्रों का यह प्रदर्शन देश भर में सुर्खियों में रहा था।
इस पर भी जमकर नेताओं द्वारा एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाए गए थे। उसके बाद नागरिकता संशोधन कानून को लेकर जेएनयू में जबरदस्त विरोध-प्रदर्शन हुए थे। जेएनयू में सीएए को लेकर हुए हुई हिंसा की आग अभी थमी भी नहीं थी कि एक बार फिर रविवार को यह विश्वविद्यालय देशभर में हिंसा की वजह से सुर्खियों में आ गया है।
दिल्ली की जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में एक बार फिर बड़ा बवाल हुआ है। रविवार देर रात को जेएनयू कैंपस में कुछ नकाबपोश हमलावरों ने लाठी-डंडों के साथ हमला किया, जिसमें कई छात्र घायल हैं। हमले में जेएनयू अध्यक्ष समेत कई छात्र घायल हो हैं। छात्र-छात्राओं पर हमले की गूंज एक बार फिर राजनीतिक गलियारों में पहुंच गई है। कई नेताओं को तो बैठे-बिठाए मानो मुद्दा मिल जाता है। दूसरी ओर कई विश्वविद्यालय के छात्रों ने जेएनयू के छात्रों पर हुए हमले का विरोध जताया है। जेएनयू हिंसा के विरोध में आज कई शहरों में छात्रों द्वारा विरोध प्रदर्शन भी किए जा रहे हैं।
कांग्रेस समेत विपक्ष ने केंद्र सरकार पर हिंसा के लगाए आरोप
जेएनयू में हमले को लेकर कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर हमला बोला है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि ‘हमारे देश को नियंत्रित कर रही फासीवादी ताकतें’ बहादुर बच्चों की आवाज से डरती हैं लेकिन सत्तारूढ़ पार्टी ने घटना में ‘टुकड़े टुकड़े गिरोह’ की भूमिका की जांच करने की मांग की। दूसरी ओर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा कि जेएनयू परिसर में हुई हिंसा में घायल छात्रों से मुलाकात करने के लिए दिल्ली के एम्स पहुंचीं। उन्होंने कहा कि कई घायल छात्रों के हाथ पैर टूटे हैं, और उनके सिर पर चोटें हैं। प्रियंका गांधी ने कहा कि यह किसी सरकार के बारे में बेहद ही शर्मनाक है कि उसने अपने ही बच्चों पर हिंसा होने दी।
दूसरी ओर कांग्रेस नेता शशि थरूर ने लिखा, यह विश्वास से परे है। यह जर्मनी वाली चाल है, यह 1930 के जर्मनी से है 2020 के भारत से नहीं। मैंने इसे रोकने के लिए अधिकारियों से अपील की है। वे लोकतंत्र को नष्ट कर रहे हैं, दुनिया भर में हमारे देश की लोकतांत्रिक छवि बनी है। वहीं जेएनयू कैंपस में हुए इस हमले को लेकर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि छात्रों पर बुरी तरह से हमला किया गया। पुलिस को तुरंत हिंसा को रोक शांति बहाल करनी चाहिए। माकपा नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि खबरों से मालूम चलता है कि छात्रों एवं शिक्षकों पर हिंसा करने के लिए प्रशासन और एबीवीपी के गुंडों के बीच साठगांठ है।
उन्होंने कहा कि यह सत्ता में बैठे लोगों का सुनियोजित हमला है जो उसके हिंदुत्व के एजेंडे की राह में बाधा डाल रहे जेएनयू से डरते हैं। द्रमुक अध्यक्ष एम के स्टालिन ने भी जेएनयू परिसर में हुई हिंसा की निंदा की और अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की। कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कहा कि जेएनयू के छात्रावासों में नकाबपोश लोगों के घुसने और छात्रों पर हमले करने का सीधा प्रसारण टीवी पर देखना भयावह था और ऐसा केवल सरकार की मदद से ही हो सकता है।
केंद्र सरकार ने जेएनयू में हुई हिंसा को दुर्भाग्यपूर्ण बताया
भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता एवं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हिंसा को खौफनाक बताया और कहा कि मोदी सरकार चाहती है कि सभी छात्रों के लिए विश्वविद्यालय सुरक्षित स्थान रहें। सीतारमण ने कहा कि मैं हिंसा की स्पष्ट तौर पर निंदा करती हूं। यह सरकार, पिछले कुछ हफ्तों में जो कुछ कहा गया उसके बावजूद, चाहती है कि विश्वविद्यालय छात्रों के लिए सुरक्षित रहें। दूसरी ओर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी ट्वीट किया जेएनयू में जो हुआ उसकी तस्वीरें देखीं। हिंसा की स्पष्ट तौर पर निंदा करते हैं।
यह विश्वविद्यालय की संस्कृति एवं परंपरा के पूरी तरह खिलाफ है। भाजपा प्रवक्ता नलिन कोहली ने कहा कि किसी भी रूप में हिंसा की निंदा की जानी चाहिए लेकिन साथ ही कहा कि यह गौर करना भी उतना ही जरूरी है कि जेएनयू में लोगों के एक एक खास समूह की, मानसिकता ऐसी है जो भारत के टुकड़े करने की अपील करती है और उच्चतम न्यायालय द्वारा एक ज्ञात आतंकवादी को सुनाई गई मौत की सजा को हत्या मानते हैं। उन्होंने कहा कि इन लोगों को अक्सर ‘टुकड़े टुकड़े गिरोह’ कहा जाता है और कहा निश्चित तौर पर उनकी विचारधारा शांति की नहीं हो सकती।
जेएनयू में इस बार छात्रों को बनाया गया निशाना
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) परिसर में रविवार की शाम कुछ नकाबपोश हमलावरों ने विश्वविद्यालय परिसर में घुसकर साबरमती छात्रावास के छात्रों को निशाना बनाया। नकाबपोश पुरुषों और चेहरा ढकी महिलाओं ने छात्रावास के कमरे में तोड़फोड़ की और छात्रों की पिटाई की। इस घटना पर देशभर में लोग विरोध जता रहे हैं। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में रविवार रात उस वक्त हिंसा भड़क उठी थी जब डंडों से लैस नकाबपोश लोगों ने छात्रों एवं शिक्षकों पर हमला किया और परिसर की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया, जिसके चलते प्रशासन को पुलिस बुलानी पड़ी। जेएनयू छात्र संघ की अध्यक्ष समेत 18 छात्र-छात्राएं घायल हैं।
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार