अमृतसर। पंजाब में अमृतसर के अतिरिक्त जिला तथा सत्र न्यायधीश संदीप सिंह बाजवा की अदालत ने राज्य के बहुचर्चित 16 साल पुराने सामूहिक आत्महत्या मामले में बुधवार को सुनवाई करते हुए पूर्व पुलिस उपमहानिरीक्षक कुलतार सिंह सहित पांच अन्य को दोषी करार देते हुए आठ-आठ वर्ष की सजा सुनाई। जबकि मौजूदा पुलिस उप अधीक्षक हरदेव सिंह को चार वर्ष की सजा सुनाई गई है। सजा पाने वाले इन दोषियों में दो महिलाएं भी शमिल हैं।
अमृतसर के मोनी चौक क्षेत्र में रहने वाले एक परिवार के छह लोगों द्वारा आत्महत्या करने पर मजबूर करने के मामले पर आज 16 साल बाद अदालत का फैसला आ गया है। इस मामले में छह लोगों को सजा सुनाई गई है। जिनमें एक पूर्व डीआईजी, एक मौजूदा डीएसपी सहित छह लोगों को सजा सुनाई गई है। इस मामले में दो पुलिस वालों के अतिरिक्त चार लोग मृतक परिवार के रिश्तेदार हैं।
मामले के जांच अधिकारी हरदेव सिंह को सबूत मिटाने के दोषी पाए जाने पर चार साल की कैद की सजा सुनाई गई है। जबकि डीआईजी कुलतार सिंह एवं बाकी चार अन्य आरोपियों को आठ-आठ साल कैद की सजा सुनाई गई है। अमृतसर के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की अदालत ने छह लोगों के सामूहिक आत्महत्या करने के मामले में गत 17 फरवरी को दोषी करार दिया था। आरोप प्रमाणित होने पर सभी को हिरासत में ले लिया गया था।
आरोप पत्र अनुसार 30 अक्टूबर 2004 को चौक मोनी के निवासी हरदीप सिंह समेत उसके परिवार के पांच सदस्यों ने आत्महत्या कर ली थी। पूर्व डीआईजी कुलतार सिंह तब अमृतसर के एसएसपी थे और मौजूदा डीएसपी हरदेव सिंह तब कोतवाली थाने के एसएचओ थे। जानकारी अनुसार चौक मोनी के रहने वाले हरदीप सिह के पिता की परिवारिक विवाद के दौरान मौत हो गई थी।
हरदीप सिंह के रिश्तेदारों ने उस पर पिता की हत्या का आरोप लगा कर धमकाना शुरू कर दिया था। हरदीप सिंह के एक दोस्त ने उसकी मुलाकात एसएसपी कुलतार सिंह से करवा दी थी। एसएसपी ने हरदीप सिंह से मामले को सुलझाने के लिए 12 लाख रुपए रिश्वत के तौर पर लिए थे। इसी दौरान एक दिन हरदीप अपनी पत्नी रोमी को लेकर एसएसपी कार्यालय चला गया।
आरोप है कि एसएसपी पीड़िता रोमी पर लट्टू हो गया और उसने रोमी को दो दिन अपने पास रख कर उससे कई बार दुष्कर्म किया। जिसके बाद एसएसपी ने रोमी को कई बार अपने पास बुलाया। जिसको लेकर हरदीप सिंह और उसकी पत्नी परेशान हो चुके थे। एसएसपी उनका पीछा नहीं छोड़ रहा था। इस बारे में पता चलने पर आखिरकार मजबूर हो कर 30 अक्टूबर 2004 की रात हरदीप सिंह ने आनी पत्नी रोमी, माता जसवंत कौर, बच्चों सनमीत और इमरत के साथ मिलकर घर में सामूहिक आत्महत्या कर ली।
पहले उसने सभी को जहर दिया फिर घर की दीवारों पर सारी आपबीती लिख दी थी। इस दुखद वारदात के अगले दिन जब पुलिस वालों को इस सनसनीखेज घटना के बारे में पता चला तो उनके पैरों तले से जमीन खिसक गई। क्षेत्र के तत्कालीन थाना प्रभारी निरीक्षक हरदीप सिंह ने अपने अधिकारी को बचाने के लिए दीवारों पर लिखे सुसाइड नोट को मिटाने का प्रयास किया था। लेकिन मीडिया के लोगों के वहां पहुंचने पर सारा मामले का पर्दाफाश हो गया।