परीक्षित मिश्रा
सबगुरु न्यूज -सिरोही। राजनीतिक पार्टियां बत्तीसा नाला परियोजना को लेकर सिरोही विधानसभा के लोगों को चाहें जितने दिवास्वप्न दिखा रही हों, लेकिन हकीकत यह है कि यह परियोजना सिरोही विधानसभा के किसी भी किसान के खेत की प्यास नहीं बुझा पाएगी। हां, सिरोही शहर की पेयजल की जरूरतों को पूरा करने का सहारा बनेगी।
इस परियोजना को जिले में नर्मदा के विकल्प के रूप में पेश किया जा रहा है, लेकिन यह किसानों के लिए उसी तरह बेमानी है जिस तरह से नर्मदा का पानी। गोपालन मंत्री और सिरोही के विधायक ओटाराम देवासी को सरकार द्वारा इसके पानी को धांता बांध में नहीं ला सकने को लेकर टका सा जवाब लिखित में दिया जा चुका है, लेकिन फिर भी इसे नर्मदा के विकल्प के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है।
इसलिए किसानों के लिए बेमानी है बत्तीसा नाला
बत्तीसा नाला परियोजना का बांध आबूरोड के देलदर गांव में बन रहा है। समुद्र तल से बांध निर्माण स्थल की उंचाई करीब 306 मीटर है। वहीं धांता बांध की समुद्र तल से उंचाई करीब 345 मीटर है। ऐसे में धांता बांध बत्तीसा नाला से करीब 40 मीटर या 120 फीट उंचा है।
समस्या यही नहीं है। जिस मार्ग से होते हुए इस पानी को धांता बांध में पहुंचाए जाने का दिवास्वप्न दिखाया जा रहा है, उस मार्ग पर माउण्ट आबू की पहाड़ियां भी आती हैं। इस क्षेत्र की समुद्र तल से उंचाई करीब 375 मीटर है। ऐसे में बत्तीसा नाला के से इस क्षेत्र की उंचाई करीब 70 मीटर ज्यादा हैं यानी 225 फीट। बत्तीसा नाले के पानी को इस उंचाई तक चढ़ाने के लिए इस पानी को लिफ्ट करना पडे़गा। जिसके उच्च क्षमता युक्त पम्प और इतनी बिजली का खर्च न तो आर्थिक दृष्टि से और न ही तकनीकी दृष्टि से संभव है।
यही कारण है कि सिरोही के विधायक के रूप में ओटाराम देवासी द्वारा 13 वी विधानसभा के 10वे सत्र में पूछे गए प्रश्न संख्या 5692 में राजस्थान सरकार ने तकनीकी दृष्टि से इस पानी को धांता बांध में डालने के चौथे सवाल पर दोनों बांधों की उंचाई में असामान्य अंतर होने से इसे तकनीकी और आर्थिक दृष्टि से असंभव बताया।
मूल योजना में भी पेयजल ही शामिल
बत्तीसा नाला परियोजना के लिए राज्य सरकार द्वारा 2016-17 के बजट में 228.05 करोड़ रुपये जारी किए गए। इस स्वीकृत राशि से जल संसाधन विभाग ने करीब 178 करोड़ रुपये में बांध निर्माण की बिड जारी कर दी है। जिसकी तकनीकी निविदा 4 अगस्त को खुलेगी और अगस्त के अंत तक बांध बनाने का कार्यादेश जारी हो जाएगा।
शेष राशि से बांध क्षेत्र में सिंचाई के लिए नहरें आदि बनाने का कार्य होगा। करीब 577.40 एमसीएफटी क्षमता वाले इस बांध के 269.80 एमसीएफटी पानी का उपयोग जलदाय विभाग जिले के 31 गांवों तथा सिरोही व पिण्डवाड़ा शहर की एक लाख 62 हजार 860 जनसंख्या को पेयजल आपूर्ति के लिए करेगी।
इस कारण जलदाय विभाग ने इस बांध के निर्माण के लिए अपने हिस्से के 108.20 करोड़ रुपये की राशि जल संसाधन विभाग को दे दी है, यह भी मुख्यमंत्री की बजट घोषणा के 228 करोड़ रुपये का हिस्सा है। जल संसाधन विभाग को धांता बांध में पानी को डालने और फिर इस पानी को सिरोही क्षेत्र के किसानों की सिंचाई के लिए उपयोग किए जाने के लिए कोई राशि नहीं जारी की गई है। तकनीकी दृष्टि से इंजीनियर्स इसे फिजिबल नहीं बता रहे हैं।
सिर्फ इन जगहों के सिंचाई का प्रावधान
इस योजना के लिए जारी किए गए बजट में सिंचाई की नहरों के लिए राशि स्वीकृत हुई है। लेकिन यह सिंचाई बांध के डाउनस्ट्रीम के देलदर और भारजा गांवों के लिए है। ऐसे में वायदे के दस साल बाद भी न तो नर्मदा से और न ही बत्तीसा नाला परियोजना से सिरोही विधानसभा क्षेत्र की जमीनों को सींचा जा पाएगा।
सिरोही शहर की पेयजल आपूर्ति करने के कारण विश्व स्वास्थ्य संगठन के मापदण्ड के अनुसार सीवरेज लाइन बनाने के लिए आवश्यक प्रतिदिन प्रतिव्यक्ति 135 लीटर पानी का वितरण हो सकेगा।