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‘एक्ट ईस्टः बांग्लादेश और म्यांमार के साथ भारतीय व्यापार का संवर्धन’ का विमोचन
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‘एक्ट ईस्टः बांग्लादेश और म्यांमार के साथ भारतीय व्यापार का संवर्धन’ का विमोचन

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‘एक्ट ईस्टः बांग्लादेश और म्यांमार के साथ भारतीय व्यापार का संवर्धन’ का विमोचन

मु॑बई। एक्ज़िम बैंक के शोध अध्ययन “एक्ट ईस्टः बांग्लादेश और म्यांमार के साथ भारतीय व्यापार का संवर्धन” का विमोचन नई दिल्ली में 11 जून, 2018 को आयोजित आरआईएस-एक्ज़िम बैंक समर स्कूल ऑन इंटरनेशनल ट्रेड थियरी एंड प्रैक्टिसेज के उद्घाटन सत्र में किया गया।

विमोचन वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के पूर्व सचिव तथा आरआईएस के प्रतिष्ठित फेलो राजीव खेर द्वारा किया गया। इस अवसर पर एक्ज़िम बैंक के उप प्रबंध निदेशक देबाशिस मल्लिक, आरआईएस के महानिदेशक सचिन चतुर्वेदी, यूनेस्कैप की दक्षिण और दक्षिण एशिया ऑफिस प्रमुख प्रो. रूपा चंदा और आरआईएस तथा एक्ज़िम बैंक के अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

एक्ज़िम बैंक के इस शोध अध्ययन में बांग्लादेश और म्यांमार के साथ भारत के वर्तमान द्विपक्षीय व्यापार और निवेश के साथ-साथ सीमा व्यापार का विश्लेषण किया गया है। अध्ययन में इस तथ्य की ओर ध्यान आकर्षित किया गया है कि बांग्लादेश और म्यांमार के साथ भारत के व्यापार एवं निवेश संबंध पिछले कुछ वर्षों में मजबूत हुए हैं और वर्तमान परिदृश्य में द्विपक्षीय वाणिज्यिक संबंधों को बढ़ाने के अवसर विद्यमान हैं।

इस अध्ययन में म्यांमार और बांग्लादेश सहित भारत के पूर्व और उत्तर पूर्व क्षेत्र में स्थित पड़ोसी देशों के रणनीतिक महत्त्व का भी उल्लेख किया गया है, जो भारत सरकार की एक्ट ईस्ट नीति के संदर्भ में महत्त्वपूर्ण है। साथ ही अध्ययन में बहुक्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिए बिम्सटेक जैसे क्षेत्रीय मंचों की बढ़ती प्रासंगिकता का भी विशेष रूप से उल्लेख किया गया है, जो सार्क और आसियान क्षेत्रों के बीच पुल का काम करता है तथा सदस्य देशों के बीच क्षेत्रीय व्यापार और सहयोग के लिए साझे मंच की भूमिका निभाता है।

अध्ययन में एक्ज़िम बैंक के अधिकारियों द्वारा आईसीपी पेट्रापोल (भारत-बांग्लादेश सीमा), एलसीएस मोरे और एलसीएस जोखावतार (भारत-म्यांमार सीमा) के किए गए स्थल दौरों से प्राप्त प्रमुख परिणामों को प्रस्तुत किया गया है। इसमें इन सीमा व्यापार केंद्रों की वर्तमान स्थिति और व्यापार में सामने आने वाली चुनौतियों को भी शामिल किया गया है।

इनमें वेयरहाउसिंग क्षमता बढ़ाने की जरूरत और आईसीपी पेट्रापोल पर वस्तुओं के ट्रांशिपमेंट में लगने वाले समय में कटौती; मानकीकृत विदेशी मुद्रा विनिमय सुविधा, इंटरनेट कनेक्टिविटी, सड़कों में सुधार, परीक्षण सुविधाओं के लिए लैबोरेट्री की स्थापना और एलसीएस मोरे तथा एलसीएस जोखावतार पर वेयहाउसिंग सुविधाओं की कमी जैसी चुनौतियां प्रमुख हैं।

अध्ययन में बांग्लादेश और म्यांमार के साथ भारत का सीमा व्यापार बढ़ाने और उसे प्रोत्साहित करने के लिए रणनीति का भी उल्लेख किया गया है।

इसमें वस्तुओं की सीमा पार आवाजाही को सुगम बनाने के लिए व्यापार केंद्र पर सीमा इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार, भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र को आसियान क्षेत्र के उपभोक्ता बाजार के बजाय बड़े बाजारों के प्रवेश द्वार के रूप में इस्तेमाल करने और पूर्वोत्तर क्षेत्र के राज्यों के बीच रणनीतिक कनेक्टिविटी और उन्हें सीमा व्यापार केंद्रों से जोड़ने, बैंकिंग सुविधाओं के सरलीकरण, रणनीतिक केंद्रों पर सीमा हाटों की मौजूदगी बढ़ाने और उन्हें मजबूत करने तथा पूर्वोत्तर क्षेत्र में विनिर्माण केंद्र स्थापित करने, जैसी रणनीतियां शामिल हैं। विनिर्माण केंद्र की स्थापना से रोजगार बढ़ाने के साथ-साथ भारत सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल को भी सहयोग मिलेगा।