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Experts came from the center to stop the death of birds in sambhar jheel jaipur - Sabguru News
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#SaveBird : सांभर में पक्षियों को बचाने आये केंद्र से विशेषज्ञ

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#SaveBird : सांभर में पक्षियों को बचाने आये केंद्र से विशेषज्ञ
Experts came from the center to stop the death of birds in sambhar jheel jaipur
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जयपुर। राजस्थान में जयपुर के पास सांभर झील में बड़ी संख्या में पक्षियों की मौत के मामले में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सक्रियता के बाद केंद्र सरकार और राज्यपाल ने भी चिंता जताते हुए इस मामले में जरूरी उपाय करने के निर्देश दिए हैं।

सूत्रों के अनुसार नमक की झील के रूप में प्रसिद्ध सांभर झील में देश विदेश से आये करीब 18 हजार पक्षियों की मौत हो चुकी है। कोयम्बटूर एवं बरेली भेजे गए नमूनों की जांच में ‘एवियन बोच्यूलिज्म’ वायरस से संक्रमण के कारण पक्षियों की मौत होना सामने आया है। केंद्र से आये विशेषज्ञ सांभर में पक्षियों को बचाने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिनअब भी उन पर मौत मंडरा रही है।

बड़ी संख्या में पक्षियों की मौत के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सक्रियता दिखाते हुए पशुपालन विभाग के अधिकारियों को नियुक्त करने के साथ पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से भी विशेषज्ञ भेजने का अनुरोध किया है। श्री गहलोत पक्षियों की मौत की पूरी जांच के पक्ष में हैं ताकि भविष्य में ऐसी बीमारियों से पक्षियों को बचाया जा सके। राज्यपाल कलराज मिश्र ने भी इस मामले की चिंता जताते हुए मुख्यमंत्री श्री गहलोत से बात की है।

उधर राज्य के पशुपालन मंत्री लालचंद कटारिया ने बताया कि भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान बरेली से मिली रिपोर्ट में ‘एवियन बोच्यूलिज्म’ वायरस से मौत होने की पुष्टि हो गई है। उन्होंने बताया कि इस रिपोर्ट से राज्य के पशुपालन विभाग द्वारा पक्षियो की असामयिक मृत्यु के नियंत्रण के लिए उठाये जा रहे कदम सही प्रमाणित हुये हैं एवं पशु चिकित्सकों द्वारा बीमार पक्षियों के किये जा रहे उपचार की भी पुष्टि हो गयी है।

कटारिया ने बताया कि पशुपालन विभाग द्वारा अब तक 735 बीमार पक्षियों का उपचार किया गया है जिनमें से 368 जीवित हैं जबकि 36 को पुनः आकाश में छोड़ा जा चुका है। उन्होंने बताया कि प्रभावित क्षेत्र में दो स्थानों को चिन्हित करके मृत पक्षियों के शवों का वैज्ञानिक रूप से निस्तारण किया जा रहा है तथा मौके पर तीन राहत केन्द्र- काचरोदा, रतन तालाब एवं नावां में स्थापित किये गये हैं जहां पर बीमार पक्षियों को उपचार के लिये पशुपालन विभाग एवं वन विभाग की विशेष देखरेख में रखा जा रहा है।