नयी दिल्ली । राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती वर्ष में विदेश मंत्रालय ने आज ‘इंडिया फॉर ह्यूमेनिटी’ पहल का शुभांरभ किया जिसके तहत एक साल के दौरान विश्व के 12 से अधिक देशों में करीब छह से सात हजार दिव्यांगाें को विश्व प्रसिद्ध जयपुर कृत्रिम पैर प्रदान किये जाएंगे।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने यहां विदेश मंत्रालय में एक कार्यक्रम में जयपुर की मशहूर धर्मार्थ संस्था श्री भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति के साथ संयुक्त रूप से इस पहल का शुभारंभ किया। इस मौके पर संस्था के संस्थापक पद्म भूषण डी. आर. मेहता, राजदूत सतीश मेहता, विदेश मंत्रालय में सचिव (आर्थिक संबंध) टी आर तिरुमूर्ति तथा बड़ी संख्या में विदेशी राजदूत उपस्थित थे।
श्रीमती स्वराज ने अपने उद्बबोधन में कहा कि विदेश नीति का अर्थ देशों के बीच बेहतर रिश्ते कायम करना ही नहीं होता है बल्कि हमारे पास जो है उसे साझा करना भी होता है। यह पहल अन्य देशों के लोगों तक पहुंचने और उनके जीवन में बदलाव लाने के लिए है। यह दुनिया भर के लोगों के सशक्तीकरण और उनकी समस्याओं के समाधान खोजने के लिए एक साथ आगे आने की पहल है। उन्होंने कहा कि हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि दुनिया की हर पहल, हर नीति, हर कदम के पीछे आखिर में एक मनुष्य होता है जिसे उसका लाभ मिलता है और मिलना चाहिए।
विदेश मंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने भारतीय विदेश नीति में लोगों में व्यक्तिगत स्नेह एवं ख़्याल की भावना को समाहित करने का प्रयास किया है और देश एवं विदेश दोनों में सभी पक्षों तक इसी के सहारे पहुंच कायम की विशेष रूप से जो लोग कठिनाई में हैं। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने कहा था कि ईश्वर स्वर्ग या कहीं और नहीं बसते बल्कि वे हम सब में बसते हैं तथा वह मानव सेवा के माध्यम से ईश्वर के दर्शन करने का प्रयास करते हैं। इसी प्रकार यह संस्था भी विश्व भर में मानवता की सेवा में निरंतर रत है। आज जयपुर का कृत्रिम पैर विश्व में एक ब्रांड बन चुका है और यह संस्था कृत्रिम अंग बनाने वाली सबसे बड़ी निर्माता संस्था बन चुकी है। संयुक्त राष्ट्र ने इस वर्ष जयपुर कृत्रिम पैर के 50 साल पूरे होने पर न्यूयॉर्क में एक कार्यक्रम किया और विश्व भर की मानवता के लिए इसके योगदान की सराहना की।
इस मौके पर श्री मेहता ने बाद में यूनीवार्ता से कहा कि इस पहल के तहत विएतनाम और म्यांमार में शिविर लगा चुके हैं और अगले एक साल हर माह कम से कम एक शिविर एक देश में लगाएंगे। अब वह इराक और उसके बाद मलावी में शिविर लगाने जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि विदेशों में कृत्रिम पैर लगाने के लिए 15 हजार डॉलर तक लिए जाते हैं लेकिन जयपुर पैर की विनिर्माण कीमत केवल सौ डॉलर है लेकिन उसके परिवहन एवं शिविर लगाने, कर्मचारियों के आने जाने रहने खाने आदि का व्यय अलग से होता है। उन्होंने कहा कि एक शिविर में 500 से 550 लोगों को कृत्रिम अंग लगाये जाते हैं इस हिसाब से छह से साढ़े छह हजार लोगों को सरकार की इस पहल से लाभ होगा। कार्यक्रम में महात्मा गांधी के प्रिय भजन “वैष्णव जन तो तेने रे कहिए ……” को विश्व के 41 देशों के गायकों द्वारा प्रस्तुत किये जाने वाले वीडियो को भी दिखाया गया।